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विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम कयामुद्दीन शाह भीखा मक्की बिलहरी शरीफ पर तीन दिवसीय 574वां सालाना उर्स-ए- मुकद्दस

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◆ उर्स में मुल्क की तरक्की व खुशहाली की मांगी दुवाएं


◆ तीन दिन का उर्स का मेले के साथ समापन


◆ तालीम ही किसी कौम की तरक्की का पैमाना होता है : चाँद बाबू


@ बिपिन सिंह


अयोध्या। तालीम ही किसी कौम की तरक्की का पैमाना होता है । जो तालीम से दूर होता है वह धीरे-धीरे अखलाकी गिरावट का शिकार हो जाता है । यहाँ तक कि तालीम की कमी किसी कौम की रुसवाई का सबब बनती है ।

यह सीख मखदूम -ए-अवध, बिलहरी शरीफ पूराबाजार में 574वें सालाना उर्स-ए-मुकद्दस पर सज्जादा नशीन सैय्यद अब्दुर्रव उर्फ चॉद बाब़ू के सरपरस्ती एवं निगरानी में अदबों एहतिराम व शानों शौकत के साथ मनाए जा रहे जलसे में कही।

सैय्यद निज़ामी हसन की सदारत में पूरी रात सजाई गई भव्य महफिल में देश-विदेश से आए उलेमाओं ने तकरीरें पेश की। वहीं नातखाओं ने रुहानी व पाकीजा कलाम पेश किया । पूरी रात चला अरबी , फारसी , उर्दू तकरीरों का दौर । उर्स-ए- मुकद्दस में आवामी अकीदतमंदों,देश के कई प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वानों के अलावा दूरदराज से आए हुए जायरीनों की खासी भीड़ मैजूद रही।

इसबार के 574वें सालाना जलशे में मुंबई के मौलाना खलीलुल्लाह , काजी-ए-शहर अयोध्या मौलाना समसुल कमर अलीमी, मौलाना कमाल अख्तर , दिलशाह फारुकी , शायर मु० जुबेर फैजी, मो० यूनूस मैसूर , संजर गांडवी और तरन्नुम गोंडवीं आदि कई नामी गिरामी शायर मौजूद थे ।

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