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अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय पर अतिरिक्त फीस लेने की शिकायत से शिक्षा विभाग में मचा हड़कम्प

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◆ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में अलग से फीस वसूलने को शिकायत में बताया गया है गलत


◆ तत्कालीन डीआईओएस का एक आदेश है स्कूल के पास, मामले को भेजा गया है निर्देशालय


◆ शिकायत के सामने आने के बाद खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं डीआईओएस


अयोध्या। इस समय एक शिकायत ने जिले के शिक्षा विभाग में हड़कम्प मचाया हुआ है। सरियावां के रहने वाले बृजेश सिंह ने जिलाधिकारी व जिला विद्यालय निरीक्षक से अशासकीय सहायता प्राप्त एक स्कूल में अंग्रेजी माध्यम की फीस लेने को लेकर एक शिकायत की है। शिकायत में शासन से अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण कार्य की अनुमति लेकर बिना मान्यता अंग्रेजी माध्यम में किसी पब्लिक स्कूल की तर्ज पर विद्यार्थियों से भारी भरकम फीस लेने को गलत बताया है। वहीं विद्यालय के पास तत्कालीन डीआईओएस का एक आदेश है। जिसमें उन्हें फीस लेने की अनुमति प्रदान की गई है। अब मामले को निदेशालय भेजा गया है।

           बृजेश सिंह ने बताया कि गद्दोपुर निवासी प्रदीप सिंह के साथ विनय कुमार पाठक, रघुवेन्द्र सिंह ने एसएसएसवी इण्टर कालेज के उपर अनियमित फीस वसूले जाने को लेकर आनलाइन शिकायत किया था। जिसमें डीआईओएस ने एसएसवी इंटर कालेज के प्रबन्धक व प्रधानाचार्य से तीन दिन में आख्या मांगी व नियमानुसार कार्रवाई की बात कहकर इस शिकायत का निस्तारण कर दिया।

              उन्होंने बताया कि मामले में कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने इसकी शिकायत जिला विद्यालय निरीक्षक व जिलाधिकारी से शपथ पत्र प्रस्तुत करके किया। अंग्रेजी माध्यम को लेकर विद्यालय द्वारा वसूली गई फीस की कापी भी उन्होंने अपनी शिकायत में संलग्न किया है। अपनी शिकायत में उनका आरोप है कि प्रतिवर्ष अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों से शासन द्वारा निर्धारित शुल्क न लेकर हजारों रुपये की वसूली की जा रही है। फीस की वसूली को लेकर विद्यालय प्रबन्धतंत्र द्वारा आनलाइन रसीद भी दी जाती है। इसके साथ-साथ अभिभावक अध्यापक एसोसिएशन के चंदे के नाम पर गरीब बच्चों को अलग से रुपये वसूले जाते है। जिसमें अभिभावक एसोसिएशन नियमावली के प्राविधानों का सही तरीके से अनुपालन नहीं हो रहा है।

              मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक डा. पवन कुमार तिवारी का कहना है कि प्रकरण निदेशालय को सन्दर्भित किया गया है। परस्पर विरोधाभासी इसमें कई सारे कानून है। एक्ट कुछ अलग कहता है, शासनादेश कुछ अलग है। उन्होंने अपने जवाब में तत्कालीन डीआईओएस का पत्र दिया है। जिसमें अपने श्रोतो से व्यवस्था करने के लिए कहा गया है, वह उसका पालन कर रहे है।

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