अयोध्या। युवा व किशोरो में बढ़ता मनचलापन एक मनो रुग्णता का रूप ले चुका है जिसे फ़्लर्ट फिलिया या आम भाषा मे रोड-रोमियों कहा जा रहा है। मनचली मनोवृत्ति इम्पल्स कंट्रोल डिसआर्डर का ही एक रूप है जिसमें मनोवेग को नियंत्रित कर पाने की क्षमता में कमी के साथ ही दोस्तों की मौजूदगी या इंटरनेट सोशल मीडिया उत्प्रेरक का कार्य करती है तथा वैलेंटाइन्स डे लव पार्टनर की खोज का उत्प्रेरक बन जाता है जो कि वैलेंटाइन्स वीक से शुरू होकर वर्ष भर छद्म प्रेमी युगल बनने और बनाने की मनचली मनोदशा से आशक्त हो जाता है।
दुष्प्रभाव – मनचले व्यवहार के किशोर व युवा आगे चलकर कम्पल्सिव-इम्पलसिव डिसआर्डर के शिकार हो जाते है जिससे एकांकीपन, आत्मविश्वास में कमी, आक्रोश, अवसाद आदि इस प्रकार हावी हो सकती है कि पढ़ाई व अन्य सकारात्मक कार्यों से उबन, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, जेन्डर आधारित हिंसा, दुर्घटना, मनोसेक्स विकृति व नशाखोरी की सम्भावना प्रबल हो जाती है।जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मनोपरामर्श क्लिनिक में ऐसे मरीजों में इजाफा देखने को मिल रहा है ।
बचाव व उपचार : डा आलोक मनदर्शन के अनुसार ऐसे लोगों में अन्तर्दृष्टि जागरूकता के माध्यम से उनमें रूग्ण- मनोवेग की पहचान करने तथा कम्पल्सिव व्यवहार को रोकने की चेतना विकसित की जाती है। बुरी संगति से दूर रहने तथा सोशल मीडिया पर अपने इम्पल्सिव व्यवहार पर संयम रखने का अभ्यास सकारात्मक परिणाम देता है। अभिभावक भी रोल माडलिंग करते हुए मैत्रीपूर्ण व सजग व्यवहार रखें। रचनात्मक, मनोरंजक व स्पोर्टिंग गतिविधियों को प्रोत्साहित के साथ मनोपरामर्श की काग्निटिव थिरैपी बहुत ही कारगर है।