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आपातकाल विशेष – आप लोग बहुत बहादुर है नवजवानों को पकड़ लिया बुडढ़े भाग गये

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◆ पुलिस की एफआईआर पर जस्टिस कौल ने ली थी चुटकी


◆ कार्यकर्ताओं ने जेल से ही दायर की थी बंधी प्रत्यक्षीकरण याचिका


अयोध्या। पुलिस ने 24 जुलाई 1973 को थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर 18 लोगो को अभियुक्त बनाया था जिन्हें क्रमशः घरों से पकड़ा गया लेकिन पुलिस की कहानी में चौक क्षेत्र के मोहल्ला टकसाल स्थित रामलीला मैदान में प्रातः 6 बजे सरकार विरोधी मीटिंग करना और नारे लगाने का आरोप लगाया गया था। इस एफआईआर में तत्कालीन जनसंघ के अध्यक्ष रहे जगदम्बा प्रसाद वैद्य सहित रमेश कुमार शर्मा, ओम प्रकाश पाण्डेय, रामपरीक्षा राय, श्यामाचरण, कमलाशंकर पाण्डेय, जीवितराम वर्मा, राजेन्द्र कुमार पाण्डेय, शेषमणि, मारकडेय वर्मा, चन्द्रभान सिंह, जमाल असगर, ओम प्रकाश गुप्ता, लल्लू सिंह, अवधेश प्रसाद एडवोकेट, रमानाथ मेहरोत्रा, महावीर प्रसाद, व गया प्रसाद को शामिल बताया था। लेकिन 24 जुलाई के दिन पांच नवजवानों को ही गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

                        जेल में निरुद्ध रहने के दौरान विभिन्न कार्यकर्ताओं द्वारा उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ मेंदायर बंधी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी थी। जनवरी 1976 में इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने न्यायालय में उपस्थित तत्कालीन पुलिस अधिकारियों की खूब चुटकी ली थी। क्योकि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में यह दर्शाया था कि सरकारी विरोधी मीटिंग करने के आरोप में पांच लोगो को गिरफ्तार किया गया अन्य दीवाल फांद कर भाग गये। लेकिन जिन लोगो की गिरफ्तारी उस दिन दिखाई गयी थी वे सभी युवा थे। जबकि दीवाल फांद कर भाग जाने वालों में जिनका नाम शामिल किया गया था वे सभी बुजुर्ग थे। जस्टिस कौल ने चुटकी लेते हुए पुलिस अधिकारियों से कहा था कि आप लोग बहुत बहादुर है नवजवानों को पकड़ लिया बुडढ़े भाग गये।

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