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विश्व स्तनपान सप्ताह में विशेष मनोरोध से ग्रसित नारियां, स्तनपान से बनाती है दूरियां

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अयोध्या। विश्व स्तनपान सप्ताह पर जारी रिपोर्ट में मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने बताया कि स्तनपान न कराने वाली महिलाओं में बॉडी डिसमॉर्फिया या बॉडी डिसमॉर्फिक डिसऑर्डर नामक मनोविकार होने की संभावना प्रबल होती है। उच्च वर्ग से लेकर मध्यम वर्ग तक इसका असर है। स्तनपान कराने से परहेज का मुख्य कारण मनोवैज्ञानिक है । स्तनपान न कराने के पीछे शारीरिक सुडौलता व आकर्षण कम होने का एक भ्रामक भय है जिसे बॉडी डिसमार्फिया कहा जाता है।

डा मनदर्शन ने बताया कि इस मनोरोध के चलते दिनांदिन शिशु स्तनपान न कराने की प्रवृत्ति इस कदर बढ़ चुकी है अब पूरे विश्व को स्तनपान सप्ताह मनाने की आवश्यकता पड़ गयी है क्योंकि स्तनपान से वंचित शिशुओं में शारीरिक व मानसिक अक्षमताएं होने की प्रबल संभावना होती है, साथ ही स्तनपान न कराने वाली महिलाओं में भी आगे चल कर कई हार्मोनल,मनोजैविक व मनोरासायनिक  दुष्परिणाम होने की भी प्रबल संभावना रहती है। बॉडी डिसमार्फिया एक ऐसी रुग्ण मनोदशा है जिसकी शिकार वे महिलाएं ज्यादा होती हैं जिनमे पहले से ही बनावटी या आत्ममुग्धता व्यक्तित्त्व विकार मौजूद होता है। रही सही कसर ग्लैमर व फैशन तथा बेबी फ़ूड प्रोडक्ट्स के विज्ञापन पूरे कर देते है।

उन्होंने बताया कि शिशु स्तनपान से परहेज़ को दूर करने में माताओं का स्तनपान के प्रति मनोरोध को तोड़ना अति आवश्यक है। बॉडी डिसमार्फिया या शरीर बेडोल होने के भ्रामक भय  की रिवर्स रोल मॉडलिंग कारगर होगी तथा इमोशनल हुकिंग थेरेपी से मदर बेबी इमोशनल बॉन्डिंग को बढाकर लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन में वृद्धि स्वरूप स्तनपान का मनोरुझान निरंतरता में लाया जा सकता  है।

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