अयोध्या। डिजिटल व इंटरनेट मीडिया की बढ़ती लत के मनोसामाजिक दुष्परिणामों ने जहां एक तरफ महामारी का रूप ले लिया है, वही दूसरी तरफ सोशल मीडिया पे चल रही ठगी व ब्लैकमेलिंग की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसका मुख्य शिकार किशोर व युवा वर्ग हो रहा है। ठगी या अन्य शोषण के उद्देश्य से की जाने वाली साइबर ब्लैकमेलिंग की घटनाएं चिंता का विषय बन चुकी है। इस समस्या से निपटने के लिये मनोसतर्कता व समझ विकसित करना ही इसका फर्स्ट ऐड है। इसके लिये जिला चिकित्सालय में साथिया केन्द्र नाम से साइबर-ट्रैप सेफ्टी-साइकोटिप्स सिखाया जायेगा। जिससे किशोर व युवाओं को साइबर ब्लैकमेलिंग से बचने की मनोयुक्तियां विकसित की जायेगी। इनमे मुख्य रूप से ऑनलाइन गेमिंग, गैंबलिंग, डराने या लालच वाले संदेश, पोर्न साइट ट्रैपिंग,साइबर सेक्स, डेटिंग ऐप रिस्क आदि शामिल है। यह बातें डा आलोक मनदर्शन ने लखनऊ स्थित राज्य स्वास्थ्य व परिवार कल्याण संस्थान मे आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षणोपरान्त दी। उन्होंने बताया कि किशोर व किशोरियों में सही या गलत की समझ के लिये जिम्मेदार मस्तिष्क का हिस्सा सेरेब्रम पूर्ण विकसित नही होता, वहीं दूसरी तरफ उत्तेजना, उतावलापन व संवेगी व्यवहार पैदा करने वाला भावनात्मक केन्द्र अति सक्रिय होता है। इस प्रकार किशोर या नवयुवा वर्ग का दिमाग़ एक वाहन हो जाता है जिसका पिकअप तो बहुत तेज है पर ब्रेक कमजोर। इसी कमजोरी का फायदा ब्लैकमेलर को मिल जाता है ।