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हम हो कहीं के भी लेकिन मूल निवासी हैं अयोध्या के ही – कुमार विश्वास

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सरयू पूजन करते कवि कुमार विश्वास

अयोध्या। प्राण प्रतिष्ठा सौभाग्य का क्षण है। मुझ जैसे व्यक्ति के सफलतम क्षणों में है। जैसे वह लोग सौभाग्यशाली थे। जिन्होंने आजादी देखी। पहले की अयोध्या और अब की अयोध्या में जमीन आसमान का अंतर है। उक्त बातें देश के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ने अयोध्या में दर्शन पूजन के दौरान है। अयोध्या यात्रा में उन्होंने सरयू पूजन, हनुमानगढ़ी और रामलला का दर्शन किया।

उन्होनें कहा कि अयोध्या आगमन किसी भी मनुष्य के लिए मोक्ष और पुण्य जैसा है। मनु की राजधानी है और पहला मनुष्य और मानव यही तैयार हुआ। हम हो कहीं के भी लेकिन मूल निवासी हैं अयोध्या के ही है। राम मंदिर पर कहा 500 वर्षों की तपस्या पूर्ण हो रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा समय देखना पड़ा। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकतंत्र आने के बाद भी मंदिर राजनीति का विषय बना। पारस्परिक सहमति से सभी को राम लला का स्थान छोड़ देना चाहिए था। मथुरा काशी अयोध्या तीन जगह जहां तीन देवता निवास करते हैं वह स्थान छोड़ दिया जाए।

 उन्होनें कहा कि भगवान का हूं आभारी की जिन्होंने इस काम के लिए हम लोगां का चुनाव किया। हम राम लला के द्वार की दो ईट सीधी रख सकें। अयोध्या विकास की प्रक्रिया में शामिल है। पहले अयोध्या को देखकर मन में कष्ट होता था। मैंने रामलला का विवादित ढांचे में दर्शन किया, टेंट में दर्शन किया। तब भी दर्शन किया जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया अब भी दर्शन कर रहा हूं। आगे भी करता रहूंगा।

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