अयोध्या। जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि किशोरों व युवाओं मे बढ़ रहा नशीली सुई का इस्तेमाल एच आई वी एड्स के खतरे को बढ़ा रहा है। इसी खतरे के मेडिकल मैनेजमेंट के लिये नेशनल एड्स कंट्रोल अथोरिटी द्वारा जिला चिकित्सालय में संचालित ओप्वायड सब्सटीट्यूशन थेरेपी या ओएसटी केंद्र की स्थापना की गयी है। जिसमें नशीली सुइयों को नसों या माँसपेशियों में लगाकर नशा करने वालो को ऐसी दवाईयां खिलाई जाती है। जिससे उनमे नशे की तलब को रोकने मे मदद तो मिलती ही है, साथ ही एच आई वी व एड्स के खतरे से बचाव होता है। नशीली सुइओ से नशा करने वाले ग्रुप में एक से ज्यादा लोगों द्वारा एक ही सिरिंज का इस्तेमाल व असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने की मनोवृति एचआईवी व अन्य गंभीर यौन जनित संक्रमण के खतरे को बढ़ा रही है।
उन्होंने बताया कि ओप्वायड यानि वे दवाइयां जो सीधा मस्तिष्क पर असर करती है जिसकी वजह से इनमे नशे जैसा असर भी होता है। इनका इस्तेमाल चिकित्सक द्वारा मरीज को दर्द या मानसिक लक्ष्णो के प्रबंधन मे किया जाता है। पर, जब इनका इस्तेमाल नशे के लिये ही होने लगता है जब शुरु होती है समस्या। ओ एस टी यानी ओप्वायड सब्सटीट्यूशन थेरेपी में नशे की सुई के आदी व्यक्तिओं को ओरल ओप्वायड दवा खिलाई जाती है जिससे उसको नशा न मिल पाने पर होने वाली मनोशारीरिक दिक्क़तो से राहत व तलब को रोक पाने मे मदद मिलती है। साथ ही ऐसे मरीजों मे आत्मबल विकसित करने की सपोर्टिव व फैमिली थेरेपी के माध्यम से स्वस्थ जीवनचर्या विकसित की जाती है। वार्ता मे डा प्रमोद, डा रिचा, हिमांशी व निखिल मौजूद रहे।