Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या भगवान का विराट स्वरूप समस्त ब्रह्मांड का प्रतीक – डॉ. स्वामी राघवाचार्य

भगवान का विराट स्वरूप समस्त ब्रह्मांड का प्रतीक – डॉ. स्वामी राघवाचार्य

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◆ श्री राम कथा पार्क में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का तृतीय दिवस


अयोध्या। तीन कलश तिवारी मंदिर तत्वाधान में श्री राम कथा पार्क में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस में जगतगुरु रामानुजाचार्य डॉ. स्वामी राघवाचार्य ने भगवान के विराट स्वरूप और वराह अवतार की महिमा का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान का विराट स्वरूप समस्त ब्रह्मांड का प्रतीक है, जिसमें सारा संसार समाहित है। भगवान के विराट शरीर में सम्पूर्ण सृष्टि, पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु का स्थान है। इस विराट स्वरूप को देखकर राजा परीक्षित अत्यंत प्रभावित हुए। भगवान की अनंत शक्तियों का अनुभव किया।

 जब पृथ्वी को असुर हिरण्याक्ष ने समुद्र के भीतर छिपा लिया था। तब भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर हिरण्याक्ष का वध किया। वराह रूप में भगवान ने समुद्र की गहराइयों में जाकर पृथ्वी का उद्धार किया। उसे अपने दांतों पर उठा कर पुनः उसकी जगह पर स्थापित किया। इस प्रकार भगवान ने पृथ्वी का कल्याण कर समस्त जीवों की रक्षा की। जब-जब संसार में धर्म की हानि होती है, अधर्म का वर्चस्व बढ़ता है। तब भगवान अवतार लेकर पृथ्वी की रक्षा करते हैं। कथा सुनते समय राजा परीक्षित ने भगवान की महिमा का अनुभव किया। उनकी भक्ति में लीन हो गए। कथा शुभारंभ के पहले पंडित शिवेश्वरपति त्रिपाठी, पंडित श्रीशपति त्रिपाठी, महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी व्यासपीठ का पूजन अर्चन कर आरती उतारी। कथा के अंत में प्रसाद वितरित हुआ। बड़ी संख्या में भक्तजन श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कर रहे थे। आए हुए अतिथियों का स्वागत रूद्रेश त्रिपाठी ने किया।

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