Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या दहशतगर्दी लाती है नेशनल-एंग्जायटी – आतंकी-नरसंहार बनता है जन-मनोआघात

दहशतगर्दी लाती है नेशनल-एंग्जायटी – आतंकी-नरसंहार बनता है जन-मनोआघात

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अयोध्या। कश्मीर घाटी के पहलगाम आतंकी-नरसंहार ने देश को बेचैनी,दुःख व गुस्से  के मनोभाव से भर दिया है। मनोविश्लेषण की भाषा में इस मनोदशा को नेशनल रिएक्टिव- एंग्जायटी कहा जाता है।

आक्रोश- प्रदर्शन व  मार्च जैसी युक्तियां दहशतगर्द घटनाक्रम से उपजे देशव्यापी दुःख व गुस्से की अभिव्यक्ति होती है, क्योंकि इस तरह की घटना से समूचे देश के लोग अपनों को खोने वालों से समानुभूति व मनोआघात महसूस करते हैं। मानवता को झकझोरने वाली इस घटना से स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसाल व ऐड्रीनलिन का स्तर लोगों के मन मस्तिष्क मे बढ़कर व्यक्तिगत व सामूहिक स्तर पर प्रोएक्शन व रिएक्शन की आम मनोदशा बनती जा रही है, जिसकी अभिव्यक्ति समूह वार्तालाप व सोशल मीडिया की पोस्ट में त्वरित दिखने के साथ, पीड़ित व्यक्ति या समूह के प्रति समानुभूति व सहानुभूति के मनोभाव जनव्याप्त हो रहें हैं। दहशतगर्दी व देश के दुश्मनो के प्रति गुस्सा व पीड़ित के प्रति संवेदना के मनोभाव के हार्मोन एड्रीनलिन व ऑक्सीटोसिन का स्राव बढ़कर एकता व एकजुटता के प्रदर्शन व मार्च जैसे रिएक्टिव-प्रोएक्शन का रूप ले रहे हैं ।  रिएक्टिव- प्रोएक्शन पूरे विश्व में विभिन्न रूप मे समय समय पर दिखाई पड़ते रहते हैं । नेशन-वाइड प्रोटेस्ट सामाजिक,सांस्कृतिक व धार्मिक विविधता से परे होकर आम नागरिक के राष्ट्र धर्म के दायित्वों की  अभिव्यक्ति होती है, जिससे दमित गुस्से व गम को व्यक्त कर मन हलका होता है तथा एक जीवंत व जिम्मेदार नागरिक होने की आत्मसंतुष्टि के हार्मोन डोपामिन व सेरोटोनिन का मनोसंचार होता है। यह बातें डा आलोक मनदर्शन ने भवदीय पब्लिक स्कूल में आयोजित पहलगाम टेरर-अटैक से उपजे जन-मनोदशा विश्लेषण संगोष्ठी में कही।

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