अयोध्या। छः से आठ घन्टे की नींद के लिए मस्तिष्क में पर्याप्त मेलाटोनिन मनोरसायन का होना आवश्यक है। परन्तु इंटरनेट स्क्रीन एक्सपोजर या अन्य मनोकारको के कारण देर तक जागने से तनाव बढ़ाने वाले मनोरसायन कार्टिसॉल बढ़ जाने से नींद तो दुष्प्रभावित होती है तथा उत्साह व फ्रेशनेस वाले मनोरसायन सेराटोनिन कम हो जाता है जिससे सुबह चुस्त दुरूस्त न होकर निष्तेज व थकी-मादी होती है ।
दुष्प्रभाव व लक्षण : स्लीप डिप्राइव्ड सिंड्रोम या अपर्याप्त नींद से ग्रसित होने पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता, पाचन क्रिया,हार्मोन संतुलन व हृदय तंत्र दुष्प्रभावित होता है । मोटापा,मधुमेह,हृदय रोग, थकान, एकाग्रता की कमी, मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन,गुस्सा चैतन्यता मे कमी ,भूख मे गड़बड़ी, प्रतिरोधी क्षमता मे कमी, उच्च रक्तचाप, अवसाद व उन्माद जैसे रोगो को जन्म दे सकता है।
बचावः सोने के निर्धारित समय से 30 मिनट पूर्व ही अपना मोबाइल या अन्य इन्टरनेट माध्यम बंद कर स्क्रीन एक्सपोजर से बचें। छः से आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य ले तथा सोने से पहले अपने मन को अगले दिन की विषय-वस्तु व अन्य सोच विचार से मन को आसक्त न होने दे। बल्कि आत्म-सन्तुष्टि व आत्म-विश्वास भरे मनोभाव से कुछ मनोरंजक गतिविधियों या सुगम संगीत व आडिओ बुक आदि के माध्यम से धीरे-धीरे नींद को अपने उपर हावी होने दें। फिर भी नींद यदि बहुत देर से आये या बहुत जल्द खुल जाये तो स्लीप थैरेपिस्ट या मनोविशेषज्ञ से सलाह ले। यह बातें जिला चिकित्सालय में विश्व निद्रा दिवस पर आयोजित स्लीप एंड हेल्थ विषयक कार्य शाला में मनोविशेषज्ञ डा बृज कुमार व डा आलोक मनदर्शन ने बतायी।