Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या विविध कार्यक्रमों के माध्यम से मनाई गई पुरूषोत्तम दास टण्डन की जयंती

विविध कार्यक्रमों के माध्यम से मनाई गई पुरूषोत्तम दास टण्डन की जयंती

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अयोध्या। राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन की जयंती के अवसर पर खत्री सभा ने धारा रोड स्थित बाल साक्षरता केन्द्र स्कूल पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया।

                  कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मीरा कपूर समाजसेविका ने राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन के चित्र पर माल्यार्पण करके कार्यक्रम की शुरूवात की। इससे पूर्व दीपा मनचन्दा सुचिता भल्ला, रीतू साहनी ने पटका व माल्यार्पण करके उनका स्वागत किया। नेइस दौरान नीम, पीपल, बरगद के पौधों का रोपण किया गया। कार्यक्रम में इण्टरमीडिएट परीक्षा में जीजीआईसी की छात्रा मीनाक्षी मालवीय तथा केटी पब्लिक स्कूल के छात्र सुमन कुमार पात्रा 94 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं को माल्यार्पण करके, पटका, स्मृति चिन्ह व नकद राशि देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम में बाल साक्षरता स्कूल में पढ़ रहे करीब 100 बच्चों के लिए 15 सेट मेज-कुर्सी, टिफिन बाक्स, हिन्दी-अंग्रेजी की किताब, पेन्सिल, रबड़, कटर, पटरी, ड्राइंग कापी, नमकीन, बिस्कुट आदि सामग्री राकेश चन्द कपूर सेवा संस्थान की तरफ से संस्था के सचिव सुप्रीत कपूर द्वारा उपलब्ध करायी गयी तथा उसका वितरण किया गया।

                  कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए खत्री सभा के अध्यक्ष संजय महेन्द्रा ने कहा कि राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन राष्ट्र के कर्मठ सेवी हिन्दी के प्राण त्याग तपस्या की प्रति मूर्ति थे। राजर्षि ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने के लिये अंतिम दौर तक संघर्ष किया व भारत के महान सपूत के साथ एक उच्च आदर्शवादी व देशभक्त थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डा0 स्वदेश मल्होत्रा ने कहा कि विद्यार्थी जीवन से ही राजर्षि टण्डन कुशाग्र बुद्धि के साहित्य प्रेमी होने के साथ अनुपम त्याग समय उदारता सादगी से परिपूर्ण जीवन में भारतीय ऋषियों जैसी सुजरता थी।

                  कार्यक्रम में मुख्य रूप से खत्री सभा के संरक्षक सुधीर मेहरोत्रा, हर्ष मनूचा, अरविन्द अरोड़ा, आलोक मनचन्दा, महामंत्री कवीन्द्र साहनी, सचिव निखिल टण्डन, विनोद खन्ना, रोहन मेहरोत्रा, आशीष महेन्द्रा, संजय टण्डन, राणा सिब्बल, विवेक साहनी, रीतू साहनी, कंचन, आरती गुप्ता, राधिका चौहान, राणा कुम्भा सिंह सहित बड़ी संख्या में समाज की महिलायें व पुरूष मौजूद थे।

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