अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के गणित एवं सांख्यिकी विभाग में स्वामी विवेकानन्द की जंयती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। स्वामी विवेकानन्द एवं नैतिक शिक्षा विषय पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विवि के गणित एवं सांख्यिकी विभागाध्यक्ष प्रो. एस.एस. मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द इस पृथ्वी पर अब तक के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति रहे है। यदि भारतवर्ष के बारे में जानकारी हासिल करनी है तो स्वामी विवेकानंद को अवश्य जानना होगा। कार्यक्रम में उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि स्वामी विवेकानन्द जब स्वामी राम कृष्ण परमहंस से मिलने पहुचे तो यह कहा गया कि आधुनिक भारत प्राचीन भारत से मिलने आया हुआ है।
प्रो0 मिश्र ने 1893 धर्म संसद का जिक्र करते हुए बोस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेनरी का पत्र जो विवेकानंद के बारे में विश्व धर्म संसद के आयोजन के बारे में लिखा था, उसका उदाहरण देते हुए कहा हिंदुस्तान के एक संन्यासी को इस धर्म संसद के लिए भेज रहा हूं, जिसकी बुद्धिमत्ता अमेरिका के विश्वविद्यालयों में कार्य करने वाले सभी प्रोफेसरो से ऊपर है।
कार्यक्रम में प्रो. एस.के. रायजदा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को हम सभी को पालन करना चाहिए और एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना, दीन दुखियों की सेवा एवं समाज के प्रति भी सहयोग की भावना रखनी चाहिए। इसी क्रम में विभाग के सह आचार्य डॉ. पी .के. द्विवेदी ने स्वामी विवेकानंद के बारे में व्याख्यान देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद का दर्शन गीता का कर्म योग, वेदांग दर्शन योग बुद्ध के अष्टांग मार्ग पर आधारित है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती एवं स्वामी विवेकानन्द के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम विभाग के प्रो. सी.के. मिश्र के देख रेख में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में सहचार्य डा. अभिषेक सिंह, डा. संदीप रावत ,शालिनी मिश्रा, अनामिका पाठक का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र सचिन कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर बीएससी प्रोग्राम, योग विज्ञान एवं शारीरिक शिक्षा विभाग के सभी शिक्षक ,गणित एवं सांख्यिकी विभाग के सभी शोधार्थी मौजूद रहे।