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अयोध्या अवधी एवं उसकी पहचान पूरे विश्व में : महापौर गिरीश पति त्रिपाठी

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◆ अवध विश्वविद्यालय में तुलसीदास जयंती पर अवधी महोत्सव का आयोजन


अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के अवधी भाषा साहित्य एवं संस्कृति विभाग, वशिष्ठ फाउंडेशन, अयोध्या, ग्लोबल अवधी कनेक्ट, दुबई व तेजस फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को तुलसीदास जयंती के अवसर पर अवधी महोत्सव का आयोजन स्वामी विवेकानंद सभागार में किया गया। महोत्सव का शुभारम्भ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल एवं मुख्य अतिथि महापौर गिरीशपति त्रिपाठी, अधिष्ठाता छात्र-कल्याण प्रो0 नीलम पाठक व संयोजक डॉ0 सुरेन्द्र मिश्र द्वारा मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने कहा कि तुलसी और अवधी एक दूसरे से भिन्न नही है। तुलसी ने जिस प्रकार अवधी भाषा का प्रचार प्रसार किया है शायद ही किसी और भाषा का प्रसहर किसी सहित्यकार ने किया होगा। कुलपति प्रो0 गोयल ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जरूर अवधी के कवि थे लेकिन वे जन-जन के कवि हैं। उन्हें लोकनायक कवि भी कहा जाता है। वे हमें प्रभु श्रीराम की भक्ति की ओर तो ले ही गए, साथ ही उन्होंने समूची मानव जाति को बहुत से महान संदेश भी दिए। कार्यक्रम में कुलपति ने कहा कि सत्संग की महिमा, सामाजिक समरसता, तपस्या और लगन, नैतिक शिक्षा, परम भक्ति, नारी के प्रति सम्मान सब कुछ रामचरित मानस सिखाता है। तुलसीदास ब्रज और अवधी के कवि थे। कुलपति ने अवधी के शिक्षकों से आह्वान किया कि वे अवधी और ब्रज में अच्छे-अच्छे शोध करें। क्योंकि विश्वविद्यालय अपने शोध कार्यों से जाना जाता है। अवधी बहुत ही मीठी और सहज भाषा है और मेरी हार्दिक इच्छा है कि अवध में रह कर मैं अवधी सीख पाऊँ।
अवधी महोत्सव के मुख्य अतिथि महापौर गिरीशपति त्रिपाठी ने कहा कि अयोध्या अवधी एवं उसकी पहचान पूरे विश्व में है। विश्व के सबसे लोकप्रिय काव्य की जन्मस्थली अयोध्या है। इसलिए अयोध्यावासियों का कर्तव्य है कि अवधी भाषा को सशक्त एवं समृद्ध बनाये। आज हम सभी तुलसीदास जी के जन्मदिन को गहराईयों के साथ स्मरण कर रहे है। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस को पढ़ने के बाद अन्य ग्रन्थ पढ़ने की आवश्यकता नही पड़ती है। यह सम्पूर्णता में लिखा गया काव्य है। इसमें मनुष्य के सामाजिक जीवन से लेकर उसके संभावनाओं व समस्याओं का समाधान है। अवधी भाषा प्रेम, मानवीय मूल्यों, जनजन स्थापित करने वाली भाषा है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता बीएनकेबी पीजी कालेज के प्रो0 सत्य प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास एकात्मवाद के प्रणेता है। धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्वरूप में महाकवि तुलसीदास का अतुलनीय योगदान रहा है। अंतोदय की अवधारणा को रामराज्य में स्थापित किया है। तुलसी साहित्य शोध के अंनत सागर है। वर्तमान संदर्भ में तुलसीदा पर शोध की प्रासंगिगता काफी है।
कार्यक्रम का संचालन दीपक चौरसिया द्वारा किया गया। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन अवधी भाषा साहित्य एवं संस्कृति विभाग की डॉ0 प्रत्याशा मिश्रा ने किया। इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक उमानाथ, प्रो0 सिद्धार्थ शुक्ला, पूर्व कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह, डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ0 मुकेश वर्मा, डॉ0 विनोदनी वर्मा, डॉ0 स्वाति सिंह, डॉ0 शैलेन वर्मा, डॉ0 अंकित मिश्र, डॉ0 शिवांश कुमार, डॉ0 सरिता सिंह, शालिनी पाण्डेय, अंकित सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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