✍ विनोद तिवारी
अयोध्या। भाजपा और इंडिया गठबन्धन के नेता व कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी की जीत का दावा कर रहें हैं। सार्वजनिक स्थलों पर राजनैतिक दलों से जुडे़ व समाजिक लोगों के मध्य चर्चाओं का दौर चल रहा है। ग्रामीण बाजारों से लेकर शहरी क्षेत्र में लोग अपने तर्क व गणना के आधार पर अपने प्रत्याशी को जीता रहे हैं। अयोध्या होने के कारण लोकसभा फैजाबाद भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट है।
गुरूवार की शाम नगर पंचायत कुमारगंज के कुमार स्वीट पर कई राजनैतिक दलों के लोगों का जमावड़ा था। चर्चाओं का दौर शुरू हुआ गर्मागर्मी का भी माहौल दिखा। मिल्कीपुर विधान सभा क्षेत्र के दर्जनों गांवों के बूथ से सपा प्रत्याशी के जीत की गणना हो रही थी, भाजपाई सांसद लल्लू सिंह को तीसरी बार जितने का दावा ठोंक रहे थे। इण्डिया गठबंधन के कई नेता यादव, मुस्लिम, पासी जाति के लोगों का एकतरफा वोट सपा प्रत्याशी को दिए जाने का भरोसा जता रहे थे। ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया, अन्य अनुसूचित के साथ पाल, कुर्मी, व अन्य पिछड़ी बिरादरी के वोट सपा के साथ जुड़ने का दम भर रहे थे। भाजपा सर्पोटरो का कहना था कि किन्ही कारणों से भाजपा के जो वोटर नाराज थे, वे मतदान के दिन अपना इरादा भाजपा से हटा नही पाए और घरों से निकल कर सीधे भाजपा को वोट किए है। बसपा प्रत्याशी और कम्युनिस्ट पार्टी प्रत्याशियों के लिए चुनाव नया था यह दोनों प्रत्याशी पहली बार चुनाव मैदान में आए थे। दोनों प्रत्याशियों को लोकसभा क्षेत्र में 15 से 20 हजार के करीब मतों में ही सिमट जाने का अनुमान लोग लगा रहे है।
अब बात शुरू होती है 2019 लोकसभा चुनाव की, कांग्रेस से निर्मल खत्री, सपा से आनंद सेन यादव और भाजपा से सांसद लल्लू सिंह मुख्य रूप से चुनाव मैदान में रहे थे। 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में सांसद लल्लू सिंह 50 हजार से अधिक मतों से विजई घोषित हुए थे, दूसरे नंबर पर सपा प्रत्याशी आनंद सेन यादव थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री को 50 हजार से अधिक मत प्राप्त हुआ था। लेकिन इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन होने की वजह से समाजवादी पार्टी ने लोकसभा क्षेत्र फैजाबाद से नौ बार के विधायक और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अवधेश प्रसाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इंडिया गठबंधन होने की वजह से कांग्रेस प्रत्याशी को जो 2019 के चुनाव वोट मिला था उसका 50 प्रतिशत की भागीदारी जुड़ी हुई मानी जा रही है। वही यह भी चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी का प्रत्यासी मैदान में न होने के कारण कांग्रेस का कोर वोट खिसक कर भाजपा के पाले में चला गया है। वैसे तो भाजपा समर्थक संसदीय सीट जीता मान कर चल रहा हैं, लेकिन दूसरी ओर यह भी मान रहा है कि 2019 के चुनाव में मिली जीत की मार्जिन इस बार के चुनाव में कम हों सकती हैं। तमाम गुणाभाग करने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं को पूरा विश्वास है कि लोकसभा क्षेत्र की जनता ने तीसरी बार भी अपना सांसद चुनकर दिल्ली भेज रहीं हैं। फिलहाल मतगणना के कुछ ही दिन शेष हैं, चार जून को स्थिति स्पष्ट होगी कि जनता ने किसे अपना सांसद चुना हैं।
बेहतरीन विश्लेषण,बेबाक अंदाज