अयोध्या। भवदीय पब्लिक स्कूल में आयोजित पैरेंटिंग पैटर्न व पाल्य परीक्षा परफॉर्मेन्स कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि अभिभावक अपने तर्को के आधार पर अपने पारिवारिक व्यवहार को सही ठहराने का प्रयास करते है जिसके दुष्प्रभाव से बच्चों मे बनावटी या चिंतालु या बागी मनोवृत्तिया हावी होकर डिसोसिएटिव मनोलक्षणों के रूप में दिखायी पड़ती है जिसमे बेहोशी, सांस तेज चलना,पेट दर्द, सिर दर्द, बोलने या निगलने मे दिक्कत, भूतप्रेत प्रदर्शन, क्रोध, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, आत्मघाती कृत्य, नशे या चोरी की लत, सेक्सुअल विकार, डिजिटल गेमिंग व गैम्बलिंग आदि है। यह लक्षण परीक्षा या किसी अन्य चुनौतीपूर्ण स्थिति में अधिक दिखायी पडतें हैं। परिवार एक चेन है और किशोर या किशोरी के स्वस्थ व्यक्तित्व निर्माण में इस चेन की हर कड़ी का स्वस्थ होना आवश्यक है। पैरेन्ट्स को अपने पर्सनालिटी डिसआर्डर को पूर्ण मनोयोग से स्वीकार करते हुये पाल्य सहित संयुक्त परामर्श लेने में सकारात्मक रवैया होना चाहिए। मेच्योर-पैरेन्टिंग ही स्वस्थ व सकारात्मक परिणाम देती है जिसकी जागरूकता अभिभावकों में आवश्यक है। मैत्रीपूर्ण माहौल में स्वस्थ दंड व प्रोत्साहन विधि से ही पाल्य को नियंत्रित रखें तथा परीक्षाकाल में तुलनात्मक व पाल्यमुग्ध आकलन कदापि न करे। तानाशाही या बेपरवाह पैरेन्टिंग से बचें। कार्यशाला की अध्यक्षता निदेशिका डा रेनू वर्मा तथा संयोजन प्रिंसिपल बरनाली गाँगुली ने किया।