◆ रविवार को भगवान सूर्य को दिया जाएगा पहला अर्घ्य
◆ अयोध्या के घाटों पर छठ पूजा के दौरान उमड़ती है भीड़
अयोध्या। छठ का पर्व आज यानी 17 नवंबर से शुरू हो रहा है। इस साल छठ पूजा पर विशेष योग बनेगा। रविवार भगवान सूर्य का दिन माना जाता है। पहला अर्घ्य रविवार को दिया जाएगा। जो बेहद ही शुभ होगा। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में भी प्रवेश करेंगे।
हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। इस दिन षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा का विधान है। इसको सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व चार दिन तक चलता है। 17 नवंबर नहाए खाए से छठ पूजा पर्व की शुरुआत हो गयी। इस दिन सूर्योदय 6ः45, सूर्यास्त 5ः27 पर हो गया। नहाए खाए से अगले 4 दिन तक घर में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। लहसुन प्याज का भी उपयोग नहीं किया जाता है। व्रती के साथ परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं।
छठ पर्व के दूसरे दिन 18 नवंबर को खरना मनाया जाएगा। खरना के दिन सूर्योदय सुबह 6ः46 और सूर्यास्त शाम 5ः26 पर होगा। खरना के दिन गुड और खीर का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास पर चली जाती है । प्रसाद को बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग उत्तम माना जाता है
तीसरा दिन अर्घ्य का होता है। जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है । जिसे संध्या अर्घ्य भी कहते हैं। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 5ः26 पर होगा । छठ पूजा में तीसरा दिन बहुत खास होता है। इस दिन टोकरी में फलों ठेका चावल लड्डू आदि के अर्घ्य से सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है । अयोध्या में सरजू नदी के घाटों पर इस दिन बड़ी भीड़ उमड़ती है। शाम को नदी के तटों पर महोत्सव जैसा माहौल रहता है।
छठ पूजा के चौथे दिन 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा । इस दिन सूर्योदय 6ः47 पर होगा। छठ पर पर महिलाएं सूर्य देव से अपनी संतान और परिवार की सुख शांति के लिए कामना करती हैं। सुबह वाले अर्घ्य के बाद पारण होता है और इसके साथ ही व्रत का समापन हो जाता है। उपासना का महापर्व छठ सबसे कठिन व्रत पर एक है ।