Friday, November 22, 2024
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वैवस्वत मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था भगवान राम का जन्म

Ayodhya Samachar

@ अमित कुमार मिश्र


◆ ब्रहमाजी के परपौत्र विवस्वान से आरम्भ माना जाता है सूर्यवंश का


◆ रामायण में गुरु वशिष्ठ ने किया है राम के कुल का वर्णन


अयोध्या। भगवान राम करोड़ो हिंदुओं की आस्था के केन्द्र है। त्रेतायुग के दौरान अयोध्या में भगवान राम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था। जिसे ब्रहमाजी की 67 पीढ़ी मानी जाती है। रामावतार भगवान विष्णु का सातवां अवतार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्माजी से मरीचि हुए। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के पुत्र विवस्वान हुए। विवस्वान से सूर्यवंश का आरंभ माना जाता है।

विवस्वान से पुत्र वैवस्वत मनु हुए। वैवस्वत मनु के दस पुत्र हुए। दस पुत्र 1- इल 2- इक्ष्वाकु 3 – कुशनाम (नाभाग), 4 – अरिष्ट, 5 -धृष्ट, 6 -नरिष्यन्त, 7 – करुष, 8- महाबली, 9- शर्याति, 10 – पृषध है। वैवस्वत मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था।

इक्ष्वाकु से सूर्यवंश में वृद्धि होती चली गई। इक्ष्वाकु वंश में कई पुत्रों का जन्म हुआ।  जिनमें विकुक्षि, निमि और दण्डक शामिल थे। समय के साथ धीरे-धीरे यह वंश परंपरा आगे की तरफ बढ़ती गई। जिसमें हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर भी पैदा हुए। अयोध्या नगरी की स्थापना इक्ष्वाकु के समय ही हुई। इक्ष्वाकु कौशल देश के राजा थे। जिसकी राजधानी साकेत थी। जिसे अयोध्या कहा जाता है। रामायण में गुरु वशिष्ठ ने राम के कुल का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है।

इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि, कुक्षि के पुत्र विकुक्षि हुए। विकुक्षि की संतान बाण हुई और बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य से पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए। मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।

भरत के पुत्र असित के होने के बाद फिर असित के पुत्र सगर का जन्म हुआ। राजा सगर के पुत्र असमंज व असमंज के पुत्र अंशुमान हुए। अंशुमान के पुत्र दिलीप व दिलीप के पुत्र के रूप में प्रतापी भगीरथ ने जन्म लिया। जो कठोर तप से मां गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफल हुए थे। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ हुए और ककुत्स्थ के यहां पुत्र रूप में रघु का जन्म हुआ।

रघु के जन्म होने पर ही इस वंश का नाम रघुवंश पड़ा क्योंकि रघु बहुत ही पराक्रमी और ओजस्वी नरेश हुए थे। रघु से उनके पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध से होते होते कई वंश चलते गए। जिसमें नाभाग हुए फिर नाभाग के पुत्र अज हुए। अज से पुत्र दशरथ हुए और दशरथ अयोध्या के राजा बने। दशरथ ने चार पुत्रों को जन्म दिया। भगवान राम, भरत, लक्ष्मण और शुत्रुघ्न हुए। इस प्रकार भगवान राम का जन्म ब्रहमाजी की 67 पीढ़ियां में हुआ।

 वाल्मीकि रामायण- ॥1-59 से 72।।

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