सरोवर में स्नान व मंदिर में चुनरी बांधने से होती है मनोकामना की पूर्ति
आस्था का असीम केन्द्र जहां भक्त बरबस ही खिचते है अयोध्या” फैजाबाद के देवी स्थानों में एक कैन्टोमेन्ट स्थित माता पाटेश्वरी देवी का पावन मंदिर व सरोवर । जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है, जहां सुबह-शाम भक्तोंf का तांता लगा रहता है। पूरे नवरात्र यहां मेले जैसा द़श्यi रहता है। श्रद्धालु अपनी मनवांछित सभी कामनों को पूर्ण करने माता का पूजन अर्जन करते है।
सरोवर व मंदिर की पौराणिक महत्ता के कारण यह स्थान सिद्धपीठों में शामिल है। यहां माता सती का पट स्थापित होने के कारण इस स्थान का नाम मां पाटेश्वरी पड़ा तथा माता यहां गर्भग्रह में पिण्डी रूप में विराजमान हैं। किंवदंती के अनुसार उज्जैन के राजा अनुभुज के इकलौते पुत्र की मृत्यु हो जाने पर राजा पुत्र के शव को इसी रास्ते लेकर शमशान घाट जा रहे थे। रात्रि हो जाने के कारण वे इसी स्थान पर नीम के पेड़ के नीचे रुक गये। दुखी: राजा पुत्र वियोग में विलाप कर रहे थे कि वहां एक बूढ़ी माता आयीं और राजा से विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होनें अपना सारा दुख: माता को बता दिया। माता ने राजा से कहा कि यदि तुम्हारा बालक जिन्दा हो जाये तो क्या तुम मंदिर व सरोवर निर्माण का वचन दे सकते हो? राजा ने माता को नमन कर वचन निभाने का संकल्प लिया तत्पश्चात माता ने राजा से सरोवर का जल लाकर बालक पर छिड़कने को कहा। राजा ने जैसे ही सरोवर का जल बालक पर छिड़का वह जीवित हो उठा। उसी के बाद राजा ने संकल्प के अनुसार इस स्थान पर मंदिर व पक्के सरोवर का निर्माण करवाया था। एक अन्यल किवंदन्ती यह भी है कि जब माता सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में सती हुई थीं तो भगवान शिव उन्हें आकाश मार्ग से लेकर जा रहे थे। माता सती का पट इसी स्थान पर गिरा था।
आने वालों भक्तों का मानना है कि मां के दरबार में चुनरी बांधने से मुरादें पूरी होती हैं। मंदिर परिसर में हनुमान जी, शिव जी, शिरडी के सांई बाबा, ज्वाला माता, शनि देव, ब्रम्हबाबा, माता काली, भैरव नाथ का भी स्थान बना हुआ है। नवरात्र के दिनों में विशेष पूजन-अर्चन होता है तथा सप्तमी व नवमी को विशाल भण्डारे का आयोजन भी किया जाता है।