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मतदान मतदाताओं की जिंदगियों और राष्‍ट्र में ला सकती है बदलाव –डॉ राणा रणधीर सिंह

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अम्बेडकर नगर। कटेहरी ब्लॉक स्थित देव इंद्रावती महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के विशेष शिविर के पांचवे दिन कार्यक्रम का शुभारम्भ देव इंद्रावती महाविद्यालय के प्रबंधक डा. राना रणधीर सिंह निदेशिका डा. रंजना सिंह,सचिव राजेश सिंह, प्राचार्य ए बी सिंह के द्वारा सरस्वती व विवेकानंद के चित्र पटल पर माल्यार्पण व धूप दीप कर किया। डा राना रणधीर सिंह ने कहा मेरे पास शक्ति है”, मतदान करने के मौलिक अधिकार की, शक्ति के महत्‍व की यह अनुभूति और यह मतदाताओं की जिंदगियों और राष्‍ट्र में कितना कुछ बदलाव ला सकती है।
डा रंजना सिंह ने कहा विविधता, भूगोल, सामाजिक-सांस्‍कृतिक-आस्‍थाकारकों, परिवार-समुदाय समीकरणों, लैंगिक पूर्वाग्रह, निशक्तता और कभी-कभी केवल उदासीनता, लापरवाही तथा आलस्‍यता की आदत मात्र से यह एक बड़ी भारी चुनौती है । मतदान करना केवल एक शारीरिक क्रिया भर नहीं है, यह प्रबंधन या सम्‍भार तंत्र का एक विषय मात्र नहीं है, यह केवल एक विषय या अधिकार या कर्तव्‍य नहीं है बल्कि “किसी एक व्‍यक्ति की शक्ति को प्रयोग में लाना है।” डा ए बी सिंह ने कहा
लोकतांत्रिक और निर्वाचनीय प्रक्रियाओं में मतदाताओं की सहभागिता किसी भी लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए अनिवार्य है और यह स्‍वस्‍थ लोकतांत्रिक निर्वाचनों का मूल आधार है। इस प्रकार, यह निर्वाचन प्रबंधन का एक अनिवार्य भाग बन जाता है। सभी स्वयं सेवक चयनित गाँव अंकारीपुर कटेहरी निनामपुर डिहवा में मतदाता जागरूकता रैली निकालकर तथा रंगोली व नारों के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न करने का कार्य किया।बौद्धिक सत्र में कटेहरी ब्लॉक के बी डी ओ का स्वागत चारों कार्यक्रम अधिकारी डा तेज भान मिश्रा डा अमित पाण्डेय सुधीर पाण्डेय शिल्पी जायसवाल ने माल्यार्पण व कुमकुम लगाकर किया। बी डी ओ जगन्नाथ चौधरी का स्वागत किया.और बीडीओ ने कहा प्रत्‍येक नागरिक को जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्‍य अभिमत, राष्‍ट्रीय या सामाजिक मूल, सम्‍पत्ति, जन्‍म या अन्‍य अवस्थिति पर आधारित भेदभाव के बिना और बिना अनुचित प्रतिबंधों के मतदान करने तथा निर्वाचित होने का अधिकार एवं अवसर प्रदान किया गया है. सभी को निर्भीक होकर अपने मतदान का प्रयोग करना चाहिए। डा तेजभान मिश्रा ने कहा आजकल निर्वाचनों में धन और बाहुबल का दुरूपयोग समान अवसर उपलब्‍ध कराने की भावना को तहस-नहस कर देते हैं। यह लोकतंत्र की भावना को बिगाड देता है। किसी प्रलोभन पर विचार किए बिना पूर्व सूचित विकल्‍प चुनने की दृष्टियों से “गुणवत्‍तापूर्ण निर्वाचकीय सहभागिता” जीवंत लोकतन्‍त्र की आधा‍रशिला है

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