◆ प्रत्याशी के लिए पार्टी ने बनाया है लोकप्रियता का पैमाना, पार्टी का आंतरिक सर्वे लगातार जारी
◆ दर्जन भर से अधिक नेताओं ने भाजपा नेतृत्व के समक्ष प्रस्तुत किया है टिकट को लेकर दावेदारी
@ अमित कुमार मिश्र
अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा का उपचुनाव राजनैतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का परिचायक बन गया है। अयोध्या जनपद की इस विधानसभा में उपचुनाव हो रहा है। समान्यतया उपचुनाव का रुख सत्ता पक्ष की ओर केन्द्रित माना जाता है। क्योंकि जनता भी अपना प्रतिनिधि सरकार जुड़ा हुआ चुनना चाहती है। जिससे सरकार की योजनाएं धरातल तक पहुंचाने व जनअपेक्षाओं को पूरा करने वाला विधायक उन्हें मिल सके। अयोध्या लोकसभा की हार के बाद मिल्कीपुर उपचुनाव हो रहा है। यहां से वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य को लेकर एक बड़ा संदेश पूरे देश में ले जाने की तैयारी है।
राजनैतिक समर में सबसे अहम भूमिका पार्टी द्वारा जनता के समक्ष प्रस्तुत किए गये चेहरे की होती है। पिछले कुछ दिनों में आए राजनैतिक बदलाव में अब चुनाव केवल लहर व नेतृत्वकर्ता के नाम के आधार पर न होकर लोकल मुद्दे भी इनमें हावी हो गये। इस सीट को जीतकर भाजपा अयोध्या लोकसभा की हार पर मरहम लगाना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष एक बार पुनः भगवा को पराजित करके भाजपा के हार के घाव को इतना गहरा करना चाहती है, जिससे उसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव तक दिखाई दे।
सवर्ण मतदाताओं पर पकड़ वाला प्रत्याशी की तलाश में भाजपा, लगातार करा रही है आंतरिक सर्वे
इस समय अगर पूरे प्रदेश की राजनीति अगर इंतजार कर है, तो वह भाजपा किस चेहरे को अपने प्रत्याशी के रुप में प्रस्तुत करती है। क्योंकि इसी भाजपा के प्रत्याशी तय करने के बाद विपक्ष अपनी अंतिम व प्रभावी रणनीति को तैयार करेगा। सुरक्षित सीट पर होने वाले इस उपचुनाव की दिशा सवर्ण मतदाता तय करेंगे। भाजपा उसी चेहरे पर अपना दांव लगाना चाहेगी, जिसका सवर्ण मतदाताओं में अच्छी पकड़ हो। सवर्ण यहां भाजपा के परम्परागत वोटर रहे है। लेकिन मिल्कीपुर में पिछले विधानसभा चुनाव में सवर्ण वोट भाजपा से खिसकता नजर आया था। भाजपा ने जिताउ कंटीडेट की तलाश में आंतरिक सर्वे के साथ नेताओं की राय लेना शुरु कर दिया है। जमीनी स्तर से लेकर सोशल मीडिया पर लोकप्रियता का पैमाना पार्टी ने तय किया है। यही पैमाना टिकट मिलने का आधार बनेगा।
भाजपा का टिकट पाने के लिए साबित करना होगा सर्वमान्य
मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर भाजपा कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती है। इसलिए इस बार प्रत्याशी का चयन करने के लिए पार्टी सभी समीकरणों पर विचार कर रही है। मिल्कीपुर उपचुनाव में गुटबाजी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए पार्टी गुटबाजी को हवा देने वाले चेहरों से दूरी बना लेगी। टिकट के दावेदारों को अपने को सर्वमान्य होना साबित करना पड़ेगा। खुद को सर्वमान्य साबित करना ही वर्तमान में टिकट पाने का किसी भी प्रत्याशी के लिए सबसे बड़ा अधार होगा। इसके लिए टिकट की रेस में शामिल नेताओं ने मुख्यालय के साथ स्थानीय पार्टी नेताओं से सम्पर्क भी करना शुरु कर दिया है। जिससे उनके बारें में पार्टी के लगातार चल रहे आंतरिक सर्वे के दौरान नकारात्मक संदेश भाजपा मुख्यालय को न जाए।
पिछले चुनावों में दिये काम को सही तरीके न करने व विरोध करने वाले नेताओं की सूची तैयार
भाजपा के प्रत्याशियों के चयन करने के लिए कई बिन्दु बनाए है। इन बिन्दुओं को लेकर टिकट मांगने वाले की कार्यक्षमता व राजनैतिक कुशलता पर गहनता से विचार किया जा रहा है। भाजपा ने पिछले चुनाव में पार्टी द्वारा दिये गये काम को सही तरीके से न करने व चुनावों में प्रत्याशी का अंदर ही अंदर विरोध करने वाले नेताओं की सूची तैयार की है। ऐसे नेताओं को टिकट की रेस से बाहर कर दिया जाएगा। वहीं इन नेताओं पर पूरे चुनाव के दौरान निगाह भी रखी जाएगी, जिससे वह चुनाव को प्रभावित न कर सके।
कई नेताओं ने पार्टी के समक्ष प्रस्तुत की है अपनी दावेदारी
भाजपा के टिकट के दावेदारों में पिछली बार का चुनाव हार चुके पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ का नाम प्रमुखता से आ रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव व उसके बाद से मिल्कीपुर में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। बाबा गोरखनाथ को अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए खुद को 2017 विधानसभा चुनाव की तरह से सर्वमान्य चेहरे के रुप में प्रस्तुत करना होगा।
पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी को मिल्कीपुर में भाजपा का चुनाव में दावेदार माना जाता है। रामू प्रिर्यदशी को जमीनी नेता माना जाता है। सोहावल सीट से वह विधायक थे। इसके बाद कई बार वह भाजपा से सोहावल व एक बार मिल्कीपुर से चुनाव लड़े। लेकिन सभी चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उम्र भी रामू प्रियदर्शी को टिकट देने में आड़े आ सकती है।
टिकट के एक अन्य प्रबल दावेदार चन्दभानु पासवान एडवोकेट को माना जा रहा है। वर्तमान में वह जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि भी है। उनका कपड़े व पेपर का थोक व्यवसाय भी है। चन्द्रभानु की राजनैतिक पृष्ठभूमि उनके टिकट के दावेदार होने को सम्बल प्रदान करती है। पिछले 2021 व 2015 के चुनाव में चन्द्रभानु पासवान की पत्नी कंचन पासवान जिला पंचायत का चुनाव जीत चुकी है। पिता दो बार ग्राम प्रधान रह चुके हैं। जो क्षेत्र में उनके पकड़ का परिचायक है। युवाओं के साथ भाजपा के स्थानीय संगठन में भी चन्द्रभानु की अच्छी पकड़ मानी जाती है।
जिले के व्यवसायी नीरज कन्नौजिया भी टिकट के दावेदारो में शामिल है। सामाजिक कार्यो में नीरज बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते है। इससे पहले हुए विधानसभा चुनाव 2022 में नीरज टिकट मांग रहे थे। टिकट न मिलने के बाद भी पार्टी प्रत्याशी का उन्होंने प्रचार किया।
दावेदारों में विनय रावत भी दावेदारी की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। मिल्कीपुर के पूर्व ब्लाक प्रमुख रहे है। युवाओं में अच्छी पकड़ मानी जाती है। एक विधायक का वरदहस्त माना जा रहा है जिससे इनकी दावेदारी को संबल मिल रहा है। टिकट के दावेदारों में सुरेन्द्र कुमार का नाम भी सामने आ रहा है। वह उप परिवाहन आयुक्त के पद कार्यरत है। सुरेन्द्र कुमार के बड़े भाई राजेन्द्र कुमार मसौधा के पूर्व में ब्लाक प्रमुख रहे है। बड़े पिता जानकी प्रसाद 1967 के चुनाव में सोहावल से विधायक बने थे। अन्य प्रत्याशियों में कांशीराम रावत, चन्द्रकेतु पासवान, राधेश्याम त्यागी व ऊषा रावत सहित एक दर्जन प्रत्याशी है।