◆ तीन मूर्तियों में गर्भग्रह में लगने वाली मूर्ति हुई फाइनल
◆ मूर्ति पर चढ़े दूध व पानी पर पत्थर का नहीं रहेगा प्रभाव
अयोध्या। रामलला के गर्भग्रह पर 18 जनवरी को नूतन विग्रह अपने स्थान पर स्थापित कर दिया जाएगा। जिसके लिए 16 जनवरी से पूजा प्रारम्भ हो जाएगी। 22 जनवरी को इसकी प्राण प्रतिष्ठा मुख्य यजमान के रुप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। रामलला की तीन मूर्तियों का निर्माण किया गया था। जिसमें एक को फाइनल कर लिया गया है।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि विष्णु के अवतार के साथ राजा के पांच वर्ष के बेटे के स्वरुप की प्रतिमा बनाई गयी है। तीन मूर्तियां तीन प्रकार के पत्थर पर बनाई गयी। जिसमें एक मूर्ति को प्रभू प्रेरणा से स्वीकार कर लिया गया है। पैर की उंगली से लेकर आंख की भौ ललाट तक यह मूर्ति 51 इंच की है। इसके उपर मस्तक व मुकुट आभामंडल होगा। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की पूजा विधि 16 जनवरी से शुरु हो जाएगी। 18 जनवरी की दोपहर यह गर्भ ग्रह पर अपने आसन पर स्थापित कर दी जाएगी। डेढ़ टन की मूर्ति श्यामल पत्थर पर बनी है। इस पर चढ़े दूध व पानी पर पत्थर का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस दूध व पानी का आचमन करने पर शरीर पर कोई दुष्परिणाम नहीं होगा।