अयोध्या। डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि स्ट्रेस या मनोदबाव का सकारात्मक प्रबन्धन न कर पाने पर स्ट्रेस नकारात्मक रूप ले लेता है जिसे डिस्ट्रेस या अवसाद कहा जाता है जिससे उलझन, बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा आदि के साथ शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ते हैं जिसे साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर कहते है।
उन्होने बताया कि पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली इससे दुष्प्रभावित होती है । मेन्टल स्ट्रेस से कार्टिसाल व एड्रेनिल हॉर्मोन बढ़ जाता है जिससे चिंता, घबराहट, एडिक्टिव इटिंग,आलस्य, मोटापा, अनिद्रा व नशे की स्थिति भी पैदा हो सकती है । यह बातें 146 इन्फैन्ट्री ब्रिगेड सिग्नल कंपनी अयोध्या कैंट में आयोजित मिलिट्री सिविलियन सेवा सहयोग आदान प्रदान श्रृंखला के तहत आयोजित स्ट्रेस मैनेजमेंट व इमोशनल हेल्थ विषयक कार्यशाला में मौजूद मुख्य अतिथि जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा० आलोक मनदर्शन द्वारा कही गयी ।
डॉ मनदर्शन के अनुसार स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल व सब्जियों का सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें । इस जीवन शैली से मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन, डोपामिन व एंडोर्फिन का संचार होगा जिससे दिमाग व शरीर दोनों स्वस्थ रहेंगे। यह जीवन चर्या हैप्पीट्यूड कहलाती है जिससे मनोशारीरिक तथा भावनात्मक रोगों से बचाव सम्भव है । कार्यशाला में प्रतिभागियों के संशय व सवालों का समाधान भी किया गया। मेजर विकी भाटी ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।