◆ प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी हेतु 1 से 15 जनवरी तक पांच गांव भेजा जायेगा पूजित अक्षत
◆ प्रसाद के तौर पर रामलला की फोटो 10 करोड़ परिवारों तक पहुंचाने का रखा गया है लक्ष्य
अयोध्या। राम मंदिर के निर्माण में 31 मार्च तक 900 करोड खर्च हो चुके है। कुल 1800 करोड खर्च होने की उम्मीद है। राम लला के मंदिर में श्रद्धालु 16 सीढीयां चढ़ कर गर्भ ग्रह से प्रथम तल में पहुचेगा। मंदिर का भूतल बन कर तैयार हो गया है। नृत्य मंडप व रंग मंडप भी बन कर तैया है। 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। कोई काम छूट न जाए इसके लिए मजदूरों की संख्या बढा दी गई है।
राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक के बाद महासचिव चंपत राय ने बताया कि कुल 18 विषयों पर चर्चा की गई। 1 से 15 जनवरी तक हिंदुस्तान के पांच लाख गांव में पूजित अक्षत पहुंचा कर यह संदेश दिया जाएगा अपने आसपास के मठ मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी करें। प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन हर घर में 5 दीपक जलाए जाऐंगे। प्रतिष्ठा के पश्चात रामलला की फोटो अयोध्या आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थी को प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाएगा। फोटो आगामी 2 वर्षों में 10 करोड़ घरों तक पहुंचे इसका लक्ष्य रखा गया है।
उन्होने बताया कि सरयु के तट पर स्थित राम कथा संग्रहालय लीगल तौर से 9 अक्टूबर से राम मंदिर ट्रस्ट के पास होगा। राम कथा संग्रहालय लेने का प्रमुख उद्देश्य राम मंदिर के 500 सालों का इतिहास और 50 साल के लीगल डॉक्यूमेंट को सुरक्षित रखना उन्होने बताया कि 2020 से 31 मार्च 2023 तक निर्माण कार्य में और उससे जुड़े हुए कार्य में कुल 900 करोड रुपए खर्च हुए हैं इसके अलावा रामलला के बैंक खातों में फिक्स और बचत खाते में लगभग 3000 करोड़ से ज्यादा की धनराशि बनी हुई है। रामलला के मंदिर निर्माण और से जुड़े कार्य के लिए खर्च में प्रमुख रूप से प्रतिदिन मंदिर के चढ़ावे को ही लिया जा रहा है। निधि समर्पण अभियान में समर्पित हुई धनराशि को बहुत थोड़ा ही राम लला के मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किया गया है।
उन्होने बताया कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा और भगवान के पूजन पद्धति को लेकर धार्मिक समिति बनी है जिसमें नृत्य गोपाल दास, गोविंद देवगिरी तेजावर स्वामी चंपत राय अनिल मिश्रा के साथ-साथ अयोध्या के महंत रामानंद दास, महंत कमलनयन दास, महंत मैथिली शरण समेत चार संतों को शामिल किया गया है जो भगवान के प्राण प्रतिष्ठा भगवान के श्रृंगार वस्त्र भगवान की पूजा पद्धति पर काम करेंगे उन्होने बताया कि अयोध्या में रामानंदी प्रथा से भगवान का पूजन अर्चन होता है इसलिए रामलला का पूजन अर्चन भी रामानंदी प्रथा से होगा।