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मन में प्रभु दर्शन की आस लिए प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन भी उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

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अयोध्या। मन में प्रभु के दर्शन की आस लिए कडकड़ती ठंड में जन्म भूमि के द्वार आस्था का जनसैलाब बधुवार को भी दिखा। घंटों कतारबद्ध खड़े रहने के बाद भी राम भक्तों का उत्साह उमंग में कोई कमी नही दिख रही थी। जय श्री राम का जय घोष मानो सभी दुख पीड़ा का नाश करने वाला हो।

भीड़ के भारी दवाब के बीच कई बैरेकेटिंग को पार करते हुए जब रामभक्त मुख्य भवन में प्रवेश पा रहे थे तो मानो उनके सभी कष्टों का अंत हो रहा था। बुधवार को लगभग दो लाख भक्तों ने दर्शन किया। महाराष्ट्र, जम्मू, पं बगाल, तमिलनाडू, कर्नाटक सहित सभी प्रांतो क्षेत्र के व्यक्ति जन्मभूमि पथ पर एक छोटा हिंदुस्तान का निर्माण कर रहे थे। विभिन्न भाषा, सम्प्रदाय के लोग केवल अपने रामलला की झलक पाने को व्याकुल थे। मौके पर डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार सहित अन्य अधिकारीयों पर्याप्त सुरक्षाकर्मीयों के साथ मौजूद थे।

महाराष्ट्र के पुणे से केशव शंखनाद पथक के सदस्य मंगलवार को अयोध्या पहुंचे थे। 111 सदस्यों ने बुधवार को रामपथ पर केसरिया व सफेद परिधान में एक साथ शंखनाद करते हुए रामलला के दरबार में शंखनाद कर रामलला का दर्शन पूजन किया। सदस्यों में महिलाओं की भागीदारी अधिक देखने को मिली। केशव शंखनाद पथक की सदस्य शीला माडेकर ने बताया कि ट्रस्ट की ओर से अयोध्या आने आमंत्रण दिया गया था। केशव शंख नाद पथक विश्व का पहले पथक है जो एक साथ औऱ एक आवाज में शंख बजाते हैं।

जम्मू कश्मीर से दर्शन को आएं संत रामशरण दास ने बताया कि 1984 में जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन, 1990 के गोली कांड व 1992 में विध्वंस के समय मुझे अयोध्या में रहने का सौभाग्य मिला है। रघुनाथ की अनुकंपा से मुझे भव्य मंदिर में दर्शन करने का फल मिल रहा  है। महाराष्ट्र निवासी अर्जुन ने कहा कई जन्मों का पुण्य है जो अलौकिक मंदिर में राम लला का दर्शन मिला। कोलकाता निवासी शिखा कहती है रामलला की छवि अद्भुत है सोच से अधिक भव्य और अलौकिक है मंदिर।

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