◆ मार्गशीर्ष माह में एकादशी की उत्पत्ति की तिथि को कहते है उत्पन्ना एकादशी
◆ तुलसी का पूजन करने से मिलती है सुख समृद्धि, जाने एकादशी के उत्पन्न होने की प्रचलित पौराणिक कहानी
अयोध्या। अगर घर में दरिद्रता है। आर्थिक संकट है। पौराणिक कथानको के अनुसार उत्पन्ना एकादशी में व्रत रखने व लक्ष्मी नारायन का पूजन करने से दरिद्रता दूर हो जाती है। इस दिन तुलसी पूजन भी काफी शुभ माना जाता है। इस बार 26 नम्बर को उत्पन्ना एकादशी पड़ रही है। एकादशी 25 नवम्बर को 1 बजकर 46 मिनट पर शुरु होने के साथ 26 नवम्बर को 3 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार 26 नवम्बर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
क्यों मनाई जाती है उत्पन्ना एकादशी –
पद्म पुराण के अनुसार एक बार युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से एकादशी तिथि के उत्पत्ति के बारें में पूछा। भगवान कृष्ण ने बताया कि सतयुग में एक बार मुर नाम के दानव ने देवराज इन्द्र को पराजित करके स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा लिया। इसके बाद सभी देवता महादेव जी के पास गये। महादेव जी देवताओ को लेकर क्षीरसागर भगवान विष्णु के पास पहुंचे। शेषनाग की शैया पर भगवान विष्णु को योग निद्रा में लीन देखकर देवताओं ने उनकी स्तुति किया। जिसके बाद भगवान विष्णु ने देवताओं के अनुरोध पर मुर के उपर आक्रमण कर दिया। युद्ध के दौरान कई दैत्यों का संहार करने के बाद भगवान विष्णु बदरिकाश्रम चले गये। वहां बारह योजन लम्बी गुफा में निद्रालीन हो गये। उनके पीछे दानव मुर भी गुफा के पास पहुंचा। जैसे की मुर ने गुफा मे प्रवेश किया, उसी समय भगवान विष्णु के शरीर से अस्त्र शस्त्रों से युक्त कन्या उत्पन्न हुई। उस कन्या ने अपने हुंकार मात्र से मुर को भस्म कर दिया। भगवान विष्णु ने कन्या के उपर प्रसन्न हुए। कन्या का नाम एकादशी था। उसके उत्पन्न होने की तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
भगवान विष्णु माता लक्ष्मी पूजा करेगी दरिद्रता दूर –
उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने व भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करने के दरिद्रता दूर होती है। गाय के कच्चे दूध में तुलसी की मंजरी मिलाकर भोग लगाने से भगवान विष्णु इस दिन प्रसन्न होते है। इस महिलाओं के द्वारा तुलसी पूजन करने से सौभाग्य व समृद्धि आती है। कच्चे दूध से तुलसी माता आर्घ्य देने से भी सुख व समृद्धि आती है।