अयोध्या। मनोतनाव अनिद्रा का कारण बनता है और फिर यही अनिद्रा मनोतनाव में अभिवृद्धि कर देता है। साथ ही, अति व्यस्त दिनचर्या जनित अपर्याप्त नींद भी मनोतनाव को प्रेरित करती है। दुष्प्रभावित निद्रा से अनचाहे नकारात्मक विचार प्रवाह बहुत तेज हो कर स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसाल में अभिवृद्धि करते है जिससे उलझन, घबराहट,चिड़चिड़ापन,क्रोध,ओवर थिंकिंग,मुह सूखना, बार बार पेशाब, मीठा खाने या नशे की तलब,मोबाइल एडिक्शन आदि के लक्षण दिखायी पड़ सकते हैं। अनिद्रा या इनसोमनिया डिसऑर्डर के प्रमुख तीन रूप होते हैं । एक है बहुत देर से नींद आना, दूसरा है नींद का बार बार टूटना और तीसरा है नींद समय से बहुत पहले टूट जाना और दोबारा न आना।
अनिद्रा से पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली दुष्प्रभावित होती है। आलस्य, मोटापा, सरदर्द, नींद में चलना व बड़बड़ाना भी हो सकता है। सात से आठ घन्टे की गहरी नींद से ब्रेन-बैटरी चार्ज होती है। मूड स्टेबलाइज़र हार्मोन सेरोटोनिन, रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन,साइकिक पेन रिलीवर हार्मोन एंडोर्फिन व लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन के समुचित संचार से ब्रेन रिफ्रेश होता है तथा स्ट्रेस-हार्मोन कोर्टिसाल व एड्रेनिल घटता है। इस प्रकार डी ओ एस ई- डोज़ यानि डोपामिन, ऑक्सीटोसिन,सेराटोनिन व इंडार्फिन की खुराक मेंटल-टानिक का कार्य करती है जो सेल्फ टाइम या एक्सट्रा करीकुलर एक्टिविटी से प्राप्त होती है। मनोतनाव या उलझन दो हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। यह बातें टाइनी टॉट्स सीनियर सेकंडरी स्कूल में आयोजित स्ट्रेस-रिलेटेड डिसऑर्डर मैनेजमेंट टाक- शो मे जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने कही। निदेशिका बिन्नी सिंह की अध्यक्षता में आयोजित टॉक-शो का संयोजन सुष्मिता दीक्षित ने किया जिसमें समस्त शिक्षकों व छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।