अयोध्या। नवरात्रोत्सव के साथ मनोरसायनिक बदलाव होने शुरु हो जाते है जिसके सकारात्मक मनोप्रभाव होते हैं। प्रार्थना व व्रत न केवल मनोतनाव पैदा करने वाले मनोरसायन कॉर्टिसाल के स्तर को कम करते है बल्कि हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन व डोपामिन तथा आत्मीयता व आनन्द की अनुभूति वाले हार्मोन एंडोर्फिन व आक्सीटोसिन की मात्रा को बढ़ावा देने मे सहायक होते हैं
जिससे मन में आस्था,स्फूर्ति, उमंग, उत्साह ,आनन्द व आत्मविश्वास का संचार होता है तथा मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।साथ ही मनोसंयम के लिये ज़िम्मेदार हार्मोन सेरोटोनिन से रुग्ण मनो वृत्तियों व व्यसन पर अंकुश लगाने मे मदद मिलती है तथा स्पिरिचुअल रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन जन-मन में बढ़ने लगता है। मंदिर मे सामूहिक पूजा व आराधना से संवर्धित होने वाला मनोरसायन ऑक्सीटोसिन मूड-स्टेबलाइजर जैसा कार्य करते हुए शान्ति व सुकून का संचार करता है। एक साथ भजन कीर्तन व गरबा आदि से एंडोर्फिन हार्मोन की वृद्धि से मनोआनंद व उत्साह की मनोदशा परिलक्षित होती है। जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में मास मेंटल-यूफोरिया या जन मनो-आनन्द कहा जाता है। दान पुण्य से स्वस्थ्य मानवीय मनोरक्षा युक्ति अल्ट्रुइज्म का संचार होता है जिससे तनाव अवसाद व चिंता विकार से उबरने में मदद मिलती है। फलाहार उपवास फाइबर डाइटिंग का सटीक वर्जन है जो मोटापा,उच्च रक्तचाप व मधुमेह के प्रबंधन में अतिउपयोगी है। यह मनोविश्लेषण जिला चिकित्सालय के मनोविश्लेषक डा. आलोक मनदर्शन द्वारा किया गया।