बसखारी अंबेडकरनगर। चैत नवरात्रि का महापर्व मां दुर्गा के नव स्वरूप के साथ गुरुवार को सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना, हवन, कन्या पूजन के साथ समाप्ति की तरफ अग्रसर है।शरादीय नवरात्रि के साथ चैत नवरात्रि का भी अपना विशेष महत्व है। शरदीय नवरात्रि में माता के भक्त जहां देवी मंदिरों व घरों में माता की चौकी के साथ गांव व कस्बों में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा को पूजा पंडालों में स्थापित कर व्रत एवं पूजन करते है। और नवरात्रि का समापन दसवें दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व को मनाते हुए किया जाता है।
वही चैत्र नवरात्रि में माता दुर्गा के बड़े-बड़े पूजा पंडाल तो स्थापित नहीं किए जाते लेकिन उसी आस्था और श्रद्धा की भावना के साथ भक्त व्रत रखते हुए देवी मंदिरों व घरों में माता की चौकी व क्लश स्थापित कर 9 दिनों तक देवी दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा आराधना पूरे विधि विधान के साथ करते है। शरादीय नवरात्र की समाप्ति माता दुर्गा के नौ स्वरूप के साथ सिद्धिदात्री मां की पूजा आराधना व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व को धूमधाम के साथ मना कर किया जाता है। तो वही चैत नवरात्रि की समाप्ति माता रानी के नौ रूपों की पूजा आराधना करने के साथ प्रभु श्रीराम के जन्म उत्सव के रूप में मनाने का विधान शास्त्रों में वर्णित है।
नवरात्रि के दिनों में शक्ति की देवी मां दुर्गा की नौ रूपों में स्तुति करने का विशेष महत्व है। नवरात्रि में जुड़े रात्रि शब्द का अर्थ सिद्धि का प्रतीक बताया गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि पूरे विधि विधान और शुद्ध मन से 9 दिनों तक मां की स्तुति करने से मनुष्य के जीवन में शक्ति का संचार होता है और अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और ईशित्व सहित कुल आठ प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती हैं। मां के नौवें स्वरूप से सिद्धिदात्री माता की आराधना के बाद हवन व कन्या पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का पारायण होता है। उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए भक्तों ने गुरुवार को माता सिद्धिदात्री की पूजा आराधना के साथ पूरे विधि विधान के साथ हवन व कन्या पूजन कर व्रत का समापन किया। वहीं जिला मुख्यालय सहित देवी के अन्य मंदिरों में सुबह से हवन कुंड में आहूति डालने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही।