Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अम्बेडकर नगर पति-पत्नी के बीच अविश्वास की भावना ही दुख का कारण-संपूर्णानंद जी महाराज

पति-पत्नी के बीच अविश्वास की भावना ही दुख का कारण-संपूर्णानंद जी महाराज

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बसखारी  अंबेडकर नगर। एक बार भगवान शिव माता सती के साथ भ्रमण कर रहे थे। रास्ते में भगवान राम और लक्ष्मण माता सीता की तलाश कर रहे थे। भगवान शिव ने भगवान राम को प्रणाम किया। माता सती ने शिव जी से पूछा भगवान आप किसको प्रणाम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह वही मेरे प्रभु राम है। मैं हमेशा जिसके नाम का जाप किया करता हूं।

माता सती को विश्वास नहीं हुआ उनके मन में संशय हुआ कि यदि यह भगवान है। तो एक मनुष्य की तरह पत्नी की तलाश में बन बन भटक क्यों रहे हैं ।उनके मन में भगवान शिव की बातों पर संशय उत्पन्न हुआ। उक्त बातें बसखारी में मोतिगरपुर स्थित सिद्धेश्वर पीठ पर चल रही सप्त दिवसीय श्री राम कथा के रविवार  को  कथा व्यास संपूर्णानंद जी महाराज ने कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को श्री राम रूपी अमृत कथा का रसपान कराते हुए कही।उन्होंने बताया कि जीवन में  जब पति-पत्नी में अविश्वास की भावना बढ़ती है तब निश्चित ही संकट आता है। माता सती के मन में भगवान की परीक्षा लेने की इच्छा जागृत हुई भगवान शिव ने कहा  संशय दूर करने हेतु हेतु जाकर परीक्षा जा ले लो। माता सती ने सीता का भेष रखकर भगवान राम के समक्ष प्रकट हुई ।भगवान ने उन्हें पहचान लिया और प्रणाम करते हुए शिव जी को छोड़कर अकेले टहलने का कारण पूछा इसके पश्चात भगवान ने उनको शक्ति का आभास कराया। जिस तरफ भी मुख करती थी भगवान का ही दर्शन होता था। फिर अंत में उन्होंने क्षमा मांगा। फिर शिव के पास पहुंचने पर शिव जी ने पूछा कि आपने परीक्षा  कैसा रहा लेकिन उन्होंने कहा कि मैं कोई परीक्षा नहीं ली जब शिवजी ने अपना ध्यान लगाकर देख कि उनके आराध्य भगवान राम उनकी पत्नी को माता कहकर प्रणाम कर रहे हैं।तो भगवान शिव जी मन में विचार करते हैं कि जो मेरे आराध्य की माता हो गई उस सती से अब इस जन्म में यदि हम पति-पत्नी का संबंध रखते हैं तो भक्ति का मार्ग नष्ट हो जाएगा और इस समय उन्होंने संकल्प लिया कि अब सती से भेंट नहीं  करूंगा और तपस्या में लीन हो गए पति पर किए गए विश्वास के कारण ही माता को अपने शरीर को त्याग कर फिर से पार्वती के रूप में जन्म लेना पड़ा। तब फिर शिव और पार्वती का विवाह हो सका। इस प्रकार पति-पत्नी के बीच में विश्वास का कोई स्थान नहीं होता है जब विश्वास होता है तो निश्चित रूप से जीवन का सुख नष्ट हो जाता है। इसके पूर्व सिद्धेश्वर धाम के महंत कृष्णानंद जी मुख्य यजमान राम यज्ञ दुबे एवं नगर पंचायत अध्यक्ष ओमकार गुप्ता ने कथा व्यास की आरती उतार कर कथा का शुभारंभ करवाया। इस दौरान  स्वामी संपूर्णानंद के श्रीमुख से बह रही अमृत कथा का रसपान करने के लिए भारी संख्या में राम कथा प्रेमी श्रद्धालु कथा मंडप में मौजूद रहे।  अयोध्या धाम से आएं हुए आचार्य पंडित उमेश यज्ञ, आचार्य पंडित मोरध्वज पांडेय, आचार्य मोनू तिवारी, पंडित विपिन शास्त्री, मनोज तिवारी सहित कई अन्य विद्वान व सहयोगी श्री राम कथा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वही सिद्धेश्वर वाला धाम में प्रतिदिन  अयोध्या,काशी व चित्रकूट  से आए हुए  विद्वानों के द्वारा क्षेत्र एवं विश्व शांति एवं कल्याण के लिए यज्ञ मंडप में निरंतर हवन का अनुष्ठान भी किया जा रहा है।

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