◆ ब्रत-उपवास है इंटरमिटेंट-फास्टिंग का सटीक उदाहरण
अयोध्या। जिला चिकित्सालय के मनोविश्लेषक डा. आलोक मनदर्शन ने बताया कि नवरात्रि के पवित्र आरम्भ के साथ मनोरसायनिक बदलाव होने शुरु हो जाते है जिसके सकारात्मक मनोशारीरिक प्रभाव होते हैं।
डा आलोक मनदर्शन
प्रार्थना व पूजा न केवल मनोतनाव पैदा करने वाले मनोरसायन कॉर्टिसाल के स्तर को कम करते हैं, बल्कि मन को शान्ति देने वाले हार्मोन गाबा,ग्लाइसिन तथा चैतन्य-हार्मोन ग्लूटामेट में बढ़ोत्तरी भी करते हैं। मूड स्टेबलाइज़र हार्मोंन सेरोटोनिन तथा आत्मीयता व आनन्द की अनुभूति वाले हार्मोन एंडोर्फिन व आक्सीटोसिन भी इन दिनों बढ़ते हैं। मनोसंयम के लिये ज़िम्मेदार हार्मोन सेरोटोनिन से रुग्ण मनोवृतियों पर भी अंकुश लगाने मे मदद मिलती है। नवरात्रि के दौरान स्पिरिचुअल रिवॉर्ड-हार्मोन डोपामिन बढ़ने से मेंटल हेल्थ में वृद्धि होती है। मंदिर की सामूहिक आराधना व प्रार्थना से संवर्धित होने वाला मनोरसायन ऑक्सीटोसिन भावनात्मक लगाव व संबल का संचार करता है। भक्ति-संगीत,नृत्य व जागरण आदि से उत्पन्न एंडोर्फिन हार्मोन से मनोआनंद व उत्साह की मनोदशा परिलक्षित होती है जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में स्पिरिचुअल -यूफोरिया या आध्यात्मिक-आनन्द कहा जाता है। दान-पुण्य आदि से स्वस्थ्य मानवीय मनोरक्षा युक्ति अल्ट्रुइज्म का संचार होता है जिससे लव-हार्मोन ऑक्सीटोसिन में वृद्धि होती है जो अवसाद व चिंता विकार से उबारने में मददगार होता है । ब्रत या उपवास इंटरमिटेन्ट-फास्टिंग का सटीक वर्जन है , क्योकि भाग दौड़ भरी जिंदगी में बढ़ रही लाइफ स्टाइल बीमारियों मोटापा,उच्च रक्तचाप व मधुमेह के उपचार में लो कैलोरी फ़ूड खाने व शान्त – मनोदशा की बात मेडिकल साइंस करता है जिसे इंटरमिटेंट-फास्टिंग कहा जाता है ।