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पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ने पर ईश्वर होते प्रगट – प्रवीण कृष्ण प्रभु जी

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अयोध्या । बीकापुर क्षेत्र के मठिया कोछा में आयोजित की जा रही सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार की शाम कथावाचक आचार्य प्रवीण कृष्ण प्रभु जी महाराज द्वारा कथा के दौरान श्री कृष्ण जन्मोत्सव का भावपूर्ण वर्णन किया। कहा कि जब-जब भक्त संकट में होते हैं। पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है अताताई और अत्याचारी बढ़ते हैं। तब ईश्वर विविध रूपों में अवतार लेकर पृथ्वी को पापियों से मुक्त करके, भक्तों की रक्षा कर पुनःधर्म की स्थापना करते है। कथा प्रवाचक ने बताया कि भागवत कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य को जन्म मरण के चक्र से मुक्ति की प्राप्ति हो जाती है। कहा कि भगवान की भक्ति में अधिक से अधिक समय देना चाहिए। कहा कि परमात्मा ही परम सत्य है। जब हमारी वृत्ति परमात्मा में लगेगी तो संसार गायब हो जाएगा। प्रश्न यह है कि परमात्मा संसार में घुले-मिले हैं तो संसार का नाश होने पर भी परमात्मा का नाश क्यों नहीं होता? वह कहते हैं कि इसका उत्तर यही है कि भगवान संसार से जुड़े भी हैं और अलग भी हैं। आकाश में बादल रहता है और बादल के अंदर भी आकाश तत्व है। बादल के गायब होने पर भी आकाश गायब नहीं होता। इसी तरह संसार गायब होने पर भी परमात्मा गायब नहीं होते। कहा कि संसार की कोई भी वस्तु भगवान से अलग नहीं है। इस मौके पर मुख्य यजमान माता प्रसाद गोस्वामी, रामशिला गोस्वामी, रमापति गोस्वामी, राम मनोहर सहित तमाम श्रोता मौजूद रहे।

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