◆ मनाया गया अवध विश्वविद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह
◆ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को किया गया पुरस्कृत
अयोध्या। राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय मंगलवार को अपना स्वर्ण जयंती समारोह हषोल्लास के साथ मनाया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय का विकास तभी संभव है जब सभ्य समाज में मानव का निर्माण हो। खोए हुए को पुनः प्राप्त करना और उसे आकार देना एवं गठित करना शिक्षण संस्थानों का प्रमुख दायित्व है। गुणवत्तापरक शिक्षा व संस्कारों को ग्रहण कराने का कार्य शिक्षकों का है। शिक्षा विद्यार्थी के सम्पूर्ण विकास में सहायक है। विश्व स्तर पर हो रही प्रतिस्पर्धा में युवाओं को भारी योगदान देना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि आज की पीढ़ी का यह दायित्व है कि आने वाले भविष्य में सभी क्षेत्रों के युवा अपना अहम योगदान दे। शिक्षण संस्थान द्विस्तरीय शिक्षा का आदान प्रदान करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र-छात्राओं को मल्टीपल विषय चुनने की आजादी है। इससे हम अपने विद्यार्थियों को हर क्षेत्र में प्रशिक्षित कर सकते है। विश्वविद्यालय स्तर पर यह तय किया जाए कि विद्यार्थियों की रूचि को बढ़ावा देने के लिए नए नए प्रयोग किए जाए। राज्यपाल ने कहा कि राम हमारे आदर्श है जो हमारे जीवन में चरित्र के निर्माण में सहायक है। भगवान राम का जीवन चित्रण जनमानस को शिक्षा देता है। कि हमें सामान्य तौर पर भेद-भाव से दूर रहना होगा। उन्होंने कहा कि शबरी का चरित्र हमें क्या सिखाता है। इस पर विचार करना चाहिए। एक दूसरे से सीखना ही जीवन है। समारोह में कुलाधिपति ने खेल पर जोर देते हुए कहा कि खेल बच्चों के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज समाज में बच्चों को खेलने से मना करने की धारणा पनप रही है। जबकि बच्चों को इससे मना करना उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा डालना है। सात साल के बच्चों का अस्सी से नब्बें प्रतिशत विकास हो जाता है। यह शोधों से पता चला है कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए खेल आवश्यक है। राज्यपाल ने शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को बताया कि यह वर्ष महारानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म ज्योति का उत्सव मना रहा है। विश्वविद्यालयों को इस पर व्यापक चर्चा कर महारानी होल्कर के योगदान को समझना चाहिए। कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शोध कार्यों के मूल्यांकन के लिए वैश्विक स्तर पर कार्य करना होगा। तभी हम उच्च गुणवत्ता को प्राप्त कर सकेंगे। तभी शिक्षण संस्थानों को नैक मूल्यांकन राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का मूल्यांकन सुनिश्चित हो सके। इससे हमारी विश्व रैकिंग में सुधार होगा।
