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राजनीति की बिसात पर युवा सांसद की चाल को समझने में राजनीतिक समीक्षक भी नाकामयाब

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  • बसपा सांसद की चर्चित पदयात्रा एवं विभिन्न दलों के राष्ट्रीय नेताओ के साथ वायरल तस्वीर


@ सुभाष गुप्ता


बसखारी अंबेडकर नगर। अंबेडकर नगर के सांसद रितेश पांडेय बसपा में ही रहकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या फिर भाजपा या सपा के टिकट पर अपनी किस्मत अजमा आएंगे। विगत कुछ महीनो से अपनाई गई उनकी रणनीति से बड़े से बड़े राजनीतिक समीक्षक भी यह समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं। अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय एवं प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बसपा सांसद रितेश पांडेय की सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर के बाद भाजपा से बढ़ी उनकी नजदीकियों की चर्चा राजनीति गलियारों में शांत भी नहीं हो पाई थी कि इसी बीच सांसद रितेश पांडेय की समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। हालांकि भाजपा नेताओं के साथ बसपा सांसद रितेश पांडेय की वायरल तस्वीर एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम के दौरान की होने की खबर के चलते भाजपा से उनकी नजदीकी की चर्चा पर विराम लग चुका है। लेकिन इसी बीच बसपा सांसद की सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ वायरल तस्वीर ने जनपद की सियासी हलचल के साथ प्रदेश की सियासी हलचल को बढ़ा दिया है।आखिरकार रितेश पांडेय के मन में क्या चल रहा है यह तो रितेश पांडेय या उनके खासम खास लोग ही जाने, लेकिन राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर जिस तरह से रितेश पांडे ने बीते 11 फरवरी से छः मार्च तक अंबेडकर नगर लोक सभा क्षेत्र के पांचों विधानसभाओं में बसपा का सांसद रहते हुए सघन जनसंपर्क अभियान कार्यक्रम के तहत पदयात्रा की थी, उससे इनके कांग्रेस से प्रभावित होने के भी कयास लगाए जाने लगे थे। बसपा सांसद रहते हुए भी रितेश पांडेय के द्वारा की गई पदयात्रा के होर्डिंग व पोस्टर में बसपा के किसी भी बड़े नेता को स्थान नहीं दिया जाना और इस पदयात्रा में बसपा के किसी बड़े नेता के शामिल न होने की चर्चा से उनके द्वारा दूसरे किसी राजनीतिक पार्टी का दामन थामे जाने के कयास भी लगाए जाने लगे। लेकिन विरासत के साथ सियासती मैदान में उतरे सांसद रितेश पांडेय एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह राजनीति की बिसात पर मंझे हुए शतरंज के खिलाड़ी के जैसे ऐसा दांव चल रहे हैं कि बड़े से बड़े राजनीतिक पंडित भी उनके अगली चाल का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। अब तक हुए चुनावों पर नजर दौड़ाये तो अंबेडकरनगर लोकसभा की सीट भाजपा की अपेक्षा बसपा व सपा के लिए सबसे ज्यादा मुफीद साबित हुई है। तीन दशकों से हुए चुनाव पर नजर दौड़ाई जाए तो अंबेडकर नगर लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए अधिकतर बसपा और उसके बाद सपा का ही पलड़ा भारी रहा हैं।यह बात बसपा सांसद रितेश पांडे भी बखूबी समझ रहे होंगे। रितेश पांडे के पाला बदलने की चर्चाएं 2022 के विधानसभा चुनाव में उनके पिता पूर्व सांसद राकेश पांडे के बसपा छोड़कर सपा के टिकट पर जलालपुर विधानसभा चुनाव लड़ने और उस पर जीत हासिल करने साथ ही शुरू हो गई थी। लेकिन सांसद रितेश पांडे के द्वारा अंबेडकरनगर में चलाए गए जनसंपर्क अभियान के अंतर्गत पदयात्रा कार्यक्रम से पंख लगने शुरू हो गए। 11 फरवरी से 6 मार्च के बीच लोकसभा के विभिन्न क्षेत्रों में चलाई गई पदयात्रा को राहुल गांधी की चलाई जा रही भारत जोड़ो यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा था। लेकिन सांसद रितेश पांडे के द्वारा कांग्रेस एवं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव की बात को खारिज करते हुए उनकी इस पद यात्रा अपने लोकसभा क्षेत्र की जनता के बीच उनसे जुड़ने, उनकी समस्याओं जानने,उनके दुख दर्द को समझने के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया गया। इस अभियान के तहत युवा सांसद रितेश पांडे के द्वारा प्रतिदिन 25 से 30 किलोमीटर की पदयात्रा कर क्षेत्र की जनता से किया गया जनसंपर्क, विधायक व सांसद रहते उनके द्वारा किए गए कई कार्य उनकी राष्ट्रीय नेतृत्व क्षमता को भी दर्शाते है। जिसे युवा सांसद रितेश पांडे भी समय-समय पर साबित कर चुके है। रितेश पांडे 2017 में भाजपा की चल रही आंधी में भी जलालपुर से बसपा के टिकट पर विधायक बनने में कामयाबी हासिल की थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा के हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के शासन में मंत्री रहे कद्दावर भाजपा नेता मुकुट बिहारी वर्मा को भारी मतों से हराकर इस सीट पर बसपा का कब्जा पुनः स्थापित किया था। यही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी रितेश पांडे एक सफल राजनेता बनने कामयाब हुए हैं। 539 सांसदों वाले पार्लियामेंट्री बिजनेस सर्वे में उन्हें 19 वा स्थान भी मिला चुका है। यही नहीं सबसे युवा सांसदों के लिए हुए सर्वे में रितेश पांडे युवा सांसद के रूप में टॉप 20 में जगह बनाने में भी कामयाब हो चुके हैं। 2020 में बसपा की तरफ से लोक सभा में नेता सदन बनने के बाद रितेश पांडे का नाम किसी राष्ट्रीय पार्टी का संसद में नेतृत्व करने वाले कम उम्र के सांसदों की सूची में भी शामिल हो चुका है। इसी तरह कई और भी उपलब्धियां युवा सांसद रितेश पांडे के नाम दर्ज हैं। जिसे बरकरार रखने में रितेश पांडे भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अपनी उपलब्धियों को बरकरार रखने व 2024 के लोकसभा आम चुनाव के मद्देनजर पदयात्रा या विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलने की वायरल तस्वीर सांसद रितेश पांडे की रणनीत का हिस्सा भी हो सकती है।महीने भर में ही राजनीति की बिसात पर सांसद रितेश पांडे के द्वारा चली जा रही चालो को राजनीतिक विश्लेषक भी समझने में असफल साबित हो रहे हैं। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यदि सांसद रितेश पांडे ने पाला बदला तो काफी हद तक वह अपने पिता सपा विधायक राकेश पांडे की राह पर चलते हुए सपा का दामन थाम सकते हैं।

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