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साहस की याद दिलाती अमर बलिदानी की स्मारक

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@ सुभाष गुप्ता

अंबेडकर नगर। देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर बलिदानी की निशानी आज भी अकबरपुर तहसील के अंतर्गत बरियावन के पास सुल्तानपुर तुलसीपुर गांव में मौजूद है। अमर शहीद बजरंगी विश्वकर्मा की स्मारक उनके अदम्य साहस और शौर्य की याद दिलाती है।1 जुलाई 1973 को जन्मे बजरंगी विश्वकर्मा चार भाइयों में सबसे छोटे थे। देश के लिए कुछ करने का जज्बा बचपन से ही इनके अंदर था। राम अवध जनता इ.कालेज बरियावन से हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह दिल्ली अपने पिता सुरेश अमन विश्वकर्मा के पास चले गए और वहीं पर बीएसएफ में भर्ती हो गए 6 अगस्त 2010 को त्रिपुरा के नर कटा में नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए। वीर नारी पत्नी सरोज विश्वकर्मा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा दो बेटियां और एक बेटे की जिंदगी मुश्किलों में घिर गई।  बड़ी बेटी अंशिका की उम्र 11 वर्ष बेटा ऋषभ 8 वर्ष और छोटी बेटी प्रियांशी की उम्र 6 वर्ष थी बजरंगी विश्वकर्मा के अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति महोदय द्वारा उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।बीएसएफ की 101 वीं बटालियन के द्वारा त्रिपुरा के एक चौकी रतिया पड़ा का नाम बदलकर बजरंगी चौकी कर दिया गया है।लेकिन उसे शहीद को गांव में और प्रशासनिक स्तर पर उपेक्षा ही मिली। शहीद के बड़े भाई प्रेम भवन ने बताया कि गांव के पास बना शहीद स्मारक निजी खर्चे से बनाया गया है। शासन से 5 बिस्वा जमीन परिवार को मिली थी उस पर भी गांव के कुछ दबंग किस्म के लोगों ने कब्जा कर रखा है।आज भी शहीद का परिवार प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है।

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