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बढते मनोतनाव से कई दुष्प्रभाव जिसे कहते है साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर : डा मनदर्शन

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अयोध्या। डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि बढ़ता मनोतनाव तेजी से बढ़ रहे मनोशारीरिक बीमारियों या साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर का कारण बनता जा रहा है। स्ट्रेस या मनोदबाव का सकारात्मक प्रबन्धन न कर पाने पर स्ट्रेस नकारात्मक रूप ले लेता है जिसे डिस्ट्रेस या अवसाद कहा जाता है। जिससे उलझन, बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा आदि के साथ शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ते हैं जिसे साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर कहते हैं ।
उन्होने बताया कि मनोशारीरिक बीमारियों के लक्षण तो शारीरिक होते हैं, पर उसका मूल कारण मेन्टल स्ट्रेस या मनोतनाव होता है । पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली इससे दुष्प्रभावित होती है। मेन्टल स्ट्रेस से आलस्य, मोटापा, अनिद्रा व नशे की स्थिति भी पैदा हो सकती है । यह बातें भारत संचार निगम के सभागार मे आयोजित स्ट्रेस मैनेजमेंट व पर्सनालिटी डेवलपमेंट कार्यशाला मे जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा० आलोक मनदर्शन द्वारा कही गयी ।
उन्होने बताया कि घबराहट या अनिद्रा एक हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें । स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल व सब्जियों का सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें । इस जीवन शैली से मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन, डोपामिन व एंडोर्फिन का संचार होगा जिससे दिमाग व शरीर दोनों स्वस्थ रहेंगे । यह जीवन चर्या हैप्पीट्यूड कहलाती है जिससे मनोशारीरिक तथा भावनात्मक रोगों से बचाव सम्भव है । कार्यशाला की अध्यक्षता महाप्रबंधक जी के द्विवेदी तथा संचालन उपमहाप्रबंधक अमित उपाध्याय ने किया । धन्यवाद ज्ञापन अपर महाप्रबंधक विशाल श्रीवास्तव तथा हरि प्रकाश अग्रहरि ने दिया ।कार्यशाला मे सभी अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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