अंबेडकर नगर, 28 नवम्बर। उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन के अनुपालन में जनपद न्यायाधीश एवम अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पद्म नारायण मिश्रा के निर्देशानुसार सोमवार को महिला शरणालय’ अयोध्या में घरेलू हिंसा विषय पर श्रीमती अंशु शुक्ला, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, द्वारा विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में श्रीमती भारती शुक्ला, प्रभारी अधीक्षिका नारी शरणालय, अयोध्या द्वारा प्रतिभाग किया गया।
श्रीमती अंशु शुक्ला, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, द्वारा शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया गया कि घरेलू हिंसा दुनिया के लगभग हर समाज में मौजूद है। इस शब्द को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। पति या पत्नी, बच्चों या बुजुर्गों के खिलाफ हिंसा कुछ सामान्य रूप से सामने आये मामलों में से कुछ है। पीड़ित के खिलाफ हमलावर द्वारा अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की रणनीति है। शारीरिक शोषण, भावनात्मक शोषण, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार या वचितता, आर्थिक अभाव / शोषण आदि घरेलू हिंसा न केवल विकासशील देशों की समस्या है बल्कि यह विकसित देशों में भी बहुत प्रचलित है । सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिये। लेकिन हर साल तेजी से बढ़ते हुये आंकड़े चिंता का विषय है। घरेलू हिंसा में महिलायें और बच्चे अक्सर सॉफ्ट टारगेट होते हैं।
भारतीय समाज में स्थिति वास्तव में भीषण है। केवल घरेलू हिंसा के परिणामस्वरूप, दैनिक आधार पर बड़ी संख्या में मौतें हो रही है। सरकार ने घरेलू हिंसा अधिनियम को भी बनाया और लागू किया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए में नियम और कानून पेश किये गये हैं। कानून एक प्रभावी आश्रय देता है और दोषियों से सख्ती से निपटता है। सरकार ने महिलाओं और बच्चों को घरेलू हिंसा से संरक्षण देने के लिये हिंसा अधिनियम 2005 को संसद से पारित कराया गया है, इस कानून में निहित सभी प्रावधानों का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये समझना जरूरी है कि पीड़ित कौन है। सरकार द्वारा वन स्टाप सेन्टर जैसी योजनाएं प्रारम्भ की हैं जिनका उद्देश्य घरेलू हिंसा व अन्य हिंसा की शिकार महिलाओं की सहायता के लिये चिकित्सीय कानूनी और मनोवैज्ञानिक सेवाओं की एकीकृत रेंज तक उनकी पंहुच को सुगम व सुनिश्चित करता है।