Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या कमतर नही, भिन्न होतें है आटिस्टिक बच्चे – डा. मनदर्शन

कमतर नही, भिन्न होतें है आटिस्टिक बच्चे – डा. मनदर्शन

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अयोध्या।  विश्व ऑटिज़्म जागरूकता सप्ताह वार्ता में डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि आत्मकेन्द्रित स्पेक्ट्रम या ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) या ऑटिज़्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है जो बच्चों में सामाजिक संपर्क ,मौखिक बोलचाल व भावनात्मक अभिव्यक्ति में असामान्यता की समस्या है। ऑटिस्टिक बच्चे में भाषा का विकास धीमा,

डा आलोक मनदर्शन

सामाजिक मेलजोल मे कमी, शब्दों के बजाय इशारों का प्रयोग, आँख न मिला पाना, वाक्यांशों या शब्दों को दोहराना,शोर से न चौंकना, सुनने, देखने, स्वाद, स्पर्श या गंध को बहुत अधिक या कम महसूस करना, अकेले रहना पसंद करना, दोस्त नहीं बनाना और अंतर्मुखी होने के साथ ही सहानुभूति की कमी, खेलने में अरुचि, ध्यान की कमी, नखरे दिखाना, आक्रामक व्यवहार, सीमित रुचियां, अति सक्रिय या निष्क्रिय कोई हरकत बार-बार करना  जैसे लक्षण भी दिखतें हैं।

सलाहः ऐसे बच्चे अन्य बच्चों से कमतर नही होतें, केवल उनकी रूचियाँ व संवाद व भावना को व्यक्त करने का अंदाज अलग होता है। इसलिए ऐसे बच्चों के पैरेंट्स व टीचर द्वारा अन्य बच्चों से तुलना की बजाय उनके अनुकूल मैत्री भाव से अकादमिक व अन्य एक्टिविटी में समायोजन से मुख्य धारा की उपलब्धियों को ऐसे बच्चे न केवल हासिल करते हैं ,बल्कि विशेष रुचि क्षेत्र में ये लोग विशिष्ठ स्थान बनाते है। ऐसे बहुत से  लोग अपना लोहा मनवा चुके है। शुरुवाती दिनों में समुचित व्यवहार-उपचार व मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन से इन बच्चों से सामाजिक व संवादिक भिन्नताओं को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। इसके लिए पेरेंट्स की जागरूकता व स्वीकर्यता के साथ शैक्षणिक संस्थानो में कुशल स्टॉफ व टीचर्स की मौजूदगी इन बच्चों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।

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