अंबेडकरनगर। बी.एन.के.बी.पी.जी. कॉलेज, अकबरपुर और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में चल रही सात दिवसीय ‘बुद्ध-पथ-प्रदीप’ कार्यशाला के तीसरे दिन बौद्ध विचार आधारित योग-प्राणायाम सत्र तथा बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत दीप-प्रज्वलन एवं बुद्ध वंदना से हुई। योग-प्राणायाम सत्र में प्रशिक्षक दानिश रिज़वी के नेतृत्व में प्रतिभागियों ने बौद्ध दर्शन पर आधारित शारीरिक और मानसिक संतुलन साधने की विधियां सीखीं। बौद्धिक सत्र में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. बृजेश कुमार रजक ने बतौर मुख्य वक्ता डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनके बौद्ध धर्म से जुड़ाव पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की स्थापना के लिए बौद्ध धर्म को अपनाया और इसे नवयान बौद्ध धर्म के रूप में परिभाषित किया।
डॉ. रजक ने कहा कि बौद्ध धर्म को अंबेडकर ने केवल आध्यात्मिक साधना नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति का माध्यम माना। करुणा, समता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर आधारित यह धर्म जातिवाद और अंधविश्वास का विरोध करता है। उन्होंने यह भी बताया कि डॉ. अंबेडकर द्वारा दिए गए 22 प्रतिज्ञाएं भारतीय समाज में व्यापक परिवर्तन का प्रतीक बनीं। कार्यक्रम का संचालन लेफ्टिनेंट डॉ. विवेक तिवारी द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. बृजेश कुमार रजक (कार्यक्रम सह-संयोजक) के साथ मनोज कुमार श्रीवास्तव, सुरेंद्र सिंह, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. आशीष कुमार चतुर्वेदी, धनंजय मौर्य सहित कई शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे। प्रतिभागियों में आदित्य, आनंद शुक्ला, श्वेता सिंह, अवंतिका पांडे, आकर्षा तिवारी, आयुष श्रीवास्तव, आनंद शर्मा सहित अनेक छात्र-छात्राएं सक्रिय रूप से शामिल हुए। यह कार्यशाला बौद्ध दर्शन और जीवन मूल्यों को समझने, आत्मचिंतन करने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सराहनीय पहल है।