अयोध्या। वैलेंटाइन्स डे प्रेरित किशोर व युवाओ द्वारा रोमांटिक लव पार्टनर की खोज एक ऐसा मनोउत्प्रेरक बन जाता है। जो वर्ष भर छद्म प्रेमी युगल बनने और बनाने की मनचली मनोदशा के रूप में दिखाई पड़ता रहता है। जिसके आत्मघाती मनोदुष्परिणाम ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम या रिएक्टिव डिप्रेशन के रूप मे दिखाई पड़ते है तथा अकादमिक व कैरियर को दुष्प्रभावित करते है । यह बातें जिला चिकित्सालय व शाश्वत कैरियर इंस्टिट्यूट के संयुक्त तत्वाधान मे आयोजित युवा मनोतनाव प्रबंधन कार्यशाला मे मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने कही।
उन्होने कहा कि पहली स्टेज में अपने प्यार को देखने पर पुरुषों में टेस्टेस्टेरॉन रिलीज होते हैं और महिलाओं में एस्ट्रोजन। इससे उनके बीच नजदीक आने की इच्छा बढ़ती है । दूसरी स्टेज में दिल की धड़कने बढ़ने लगती हैं। अपने प्यार को देखने के लिए इंसान एक्साइटेड हो जाता है। तीसरी स्टेज में कपल के बीच बॉन्डिंग मजबूत होती है। उनके रिश्ते में इमोशनल कनेक्टिविटी बढ़ती है। यह स्टेज लस्ट,अट्रैक्शन व अटैचमेंट की स्टेज कहलाती है।
उन्होने बताया कि स्टैटिस्टा डॉट कॉम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि देश की 140 करोड़ आबादी में से 115 करोड़ के हाथ में मोबाइल है। मोबाइल न केवल आज के यंगस्टर्स की सबसे जरूरी डिवाइस बन गया है, बल्कि उनके रोमांटिक कनेक्शन का सबसे बड़ा जरिया भी । प्रपोज करने से लेकर इश्क के जज्बात मोबाइल को लव कनेक्शन और रोमांटिक कम्यूनिकेशन का सिंबल बना चुके हैं। मनोरसायन ही कराते है प्यार का एहसास। डोपामाइन मनोरसायन स्नेह, उल्लास, चाहत, अट्रैक्शन बढ़ाता है वहीं सेरोटोनिन रसायन अट्रैक्शन, खुशी, पॉजिटिव फीलिंग्स, सेक्शुअल डिजायर, मोटिवेशन बढ़ाता है तथा ऑक्सिटोसिन हार्मोन अट्रैक्शन, बॉन्डिंग, भरोसा और एक्साइटमेंट बढ़ाता है। मनो जागरूकता से युवा व किशोर अपने लस्ट को लव समझने की भूल से न केवल बच सकते बल्कि पढ़ाई व कैरियर मे सफलता की सीढ़िया चढ़ सकते है।कार्यशाला में इंस्टिट्यूट के स्टूडेन्स व फैकल्टी उपस्थित रहे । धन्यवाद ज्ञापन डा सतीश वर्मा ने दिया।