अयोध्या। चिंतालु व्यक्तित्व विकार या एंक्शस पर्सनालिटी डिसआर्डर वह मानसिक प्रक्रिया है जो विचारों, भावनाओं व व्यवहार को दुष्प्रभावित कर पैनिक एंजायटी अटैक या तीव्र भययुक्त घबराहट मनोरोग का रूप ले सकता है। चिंतालु या शंकालु व्यक्तित्व विकार से ग्रसित व्यक्ति हर वक़्त अनावश्यक तनाव पैदा करने वाले विचारों से घिरा रहने के कारण तनावग्रस्त रहता है। पैनिक अटैक या एंजायटी अटैक का मूल कारण तो मानसिक होता है पर इसके लक्षण शरीर पर भी दिखाई पड़ते हैं, जिनमे दिल की असामान्य धड़कन ,भारीपन, घुटन,पेटदर्द ,सर दर्द ,शरीर में ऐंठन, बेहोशी, शुन्नपन इत्यादि हो सकते हैं। सामान्य होने के बाद भी ऐसे अटैक होने तथा किसी बड़ी बीमारी या आकस्मिक मौत का बेवजह डर बना रहता है। शारीरिक जांच के बार बार सामान्य मिलने के बावजूद भी व्यक्ति डॉक्टर के चक्कर इस संशय से लगाता रहता है कि उसे ऐसा कोई गंभीर रोग तो नहीं जो अन्य डॉक्टर की पकड़ में नहीं आ रहा। रही सही कसर इंटरनेट पर बीमारी के लक्षण की सर्च पूरी कर देती है। जागरूकता व स्वीकार्यता की कमी इलाज़ में बाधा है। यह बातें यश पैका लिमिटेड सभागार में आयोजित पर्सनालिटी डिसआर्डर व एंग्जायटी अटैक विषयक कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने कही।
उन्होंने बताया कि पैनिक अटैक या एंग्जायटी अटैक के अलावा इसे सोमैटोफार्म या साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर भी कहा जाता है। अनावश्यक व बार बार चिन्ता , शक या डर महसूस होने या किसी भी शारीरिक लक्षण के पैथोलाजिकल व लैबोरेटरी जांचे सामान्य होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल व सब्जियों के सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें । संयोजन संकर्षण शुक्ला व अध्यक्षता प्रतीक हीरा ने किया ।