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थाने के लॉकअप में बंद पिता से मिलने पहुंचे किशोर को पुलिस ने भगाया, शिकायत उच्चाधिकारियों से

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ayodhya samachar

@ गिरीश मिश्रा


जलालपुर अम्बेडकरनगर। एक युवक को दुकान से हिरासत मे लेते हुए लाकअप में बंद कर दिया, आरोप है कि वह रात भर बिना भोजन के पडा़ रहा। नाबालिक पुत्र पिता को भोजन व पानी लेकर पहुचा लेकिन मिलने तक नही दिया गया भोजन की बात तो दूर रही। यह कारनामा किया है मालीपुर पुलिस ने। युवक ने मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक और मानवाधिकार आयोग को पंजीकृत डाक से पत्र भेज कर जहां न्याय की गुहार लगाई है वही इस कृत्य में संलिप्त पुलिसकर्मियों और थानाध्यक्ष के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है।पुलिस का यह कृत्य जहां मानवाधिकार का उलंघन है। अब सवाल यह है क्या इन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध पुलिस कप्तान कोई कार्यवाही करेगे। पीड़ित प्रमोद शर्मा ताहापुर गांव में एक किराए के मकान में अपने परिवार के साथ रहता है।परिवार के भरण पोषण के लिए मालीपुर स्थित स्व पारस नाथ यादव के मकान का एक कमरा किराए पर लेकर टेलरिंग की दुकान चलाता है। बीते नौ जून को वह दुकान पर बैठा था।इसी दौरान पड़ोसी महिला की सूचना पर 112 डायल पुलिस पहुंच जाती है।पुलिस बगैर पूछताछ किए टेलर के परिवार को अपमानित करना शुरू कर देती हैं। पत्नी फोन कर सूचना पति प्रमोद को देती हैं और पुलिस से बात करवाती है।पुलिस कुछ सुनने को तैयार नहीं पता पूछ दुकान पहुंचती है, आरोप है कि बगैर दुकान बंद किए उसे खींचकर वाहन पर बैठा थाना लेकर चली जाती है। जहां 112 डायल पुलिस के साथ थानाध्यक्ष और सिपाही अपमानित करते हुए उसे लाकअप में बंद कर देते है। रात में उससे किसी को मिलने नही दिया गया। नाबालिक पुत्र भोजन लेकर मिलने जाता है परन्तु भोजन सहित उसे वापस भेज दिया गया। भूखे प्यासे प्रमोद ने लाकअप में किसी तरह रात बिताई।दूसरे दिन उसे उपजिला मजिस्ट्रेट जलालपुर अदालत में शांति भंग में चालान कर दिया गया।पुलिस के इस कृत्य से प्रमोद को बहुत अघात पहुंचा उसने मुख्यमंत्री पुलिस महानिदेशक और मानवाधिकार आयोग को शिकायती पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। गौरतलब है कि पुलिस किसी को हिरासत में लेती हैं तो इसकी सूचना उसके परिजनों को दिए जाने का आदेश है।यदि किसी को हिरासत में लिया जाता है तो उसके खाना पानी और सोने की व्यवस्था की जाती है। हवालात में उसके परिजनों और रिश्तेदारों आदि को मिलने दिया जाता है। पूरे घटना के सत्यता की जांच सीसी टीवी फुटेज से की जा सकती है। इस विषय में थानाध्यक्ष से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।

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