◆ शब्दों के गुलशन से हमको फूल अनोखे चुनना है – कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु
अंबेडकरनगर। अकबरपुर नगर के दोस्तपुर रोड शहजादपुर स्थित एस एस कोचिंग सेंटर एंड कंप्यूटर इंस्टीट्यूट में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा होली मिलन समारोह / काव्योत्सव का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के जिलाध्यक्ष तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के संचालन में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चिंतामणि निश्चिंत द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्चन के साथ जिला संयोजक कौशल सिंह सूर्यवंशी द्वारा वाणी वंदना प्रस्तुत की गई। इसी क्रम में युवा शायर साबिर जलालपुरी द्वारा नाते पाक पढ़ी गई। फिर क्या उसके बाद तो गीत–गजल व शेरो –शायरी का सिलसिला चल पड़ा। संयोजक / कवि कौशल सिंह सूर्यवंशी ने पढ़ा– तुम्हीं आगाज हो मेरा तुम्हीं अंजाम हो मेरी। उजाला हो तुम्हीं मेरा तुम्हीं तो शाम हो मेरी ! अजय वर्मा अजेय ने पढ़ा– रम की शीशी में हम रम जाते हैं लेकिन ! टानिक की शीशी हम नहीं खरीद पाते हैं ! इसीलिए हम पिछड़ जाते हैं !! संजय सवेरा ने पढ़ा – होते नहीं हैं शामिल फिर भी ऐसे लोग जिंदगी सी हुआ करते हैं ! गजब है आज के दौर में रहनुमा ! जहर दे के जिंदगी की दुआ करते हैं !! भारत राम वर्मा गुल्लू ने पढ़ा – नफरत करने वाले तरफदार बन गए , शिकारी खुद शिकार बन गए ! जहां डूबती थी कश्ती हमारी , वही भंवर खेवनहार बन गए !! संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा – शब्दों के गुलशन से हमको फूल अनोखे चुनना है , नीर नहीं नैनो के जल से उन फूलों को धुलना है ! कंपित कर से अर्पित करके सरस्वती के कदमों में , प्यार, मोहब्बत ,भाईचारा वाली चादर बनना है !! गीतकार संतोष श्रीकंठ ने पढ़ा – कितनी आंखों को जगाया हूं यह ना पूछो तो अच्छा है ! किसलिए मैं दुनिया भुलाया हूं यह ना पूछो तो अच्छा है !! साबिर जलालपुरी ने पढ़ा – तूने जुल्फों से जो चेहरे को छुपा रखा है , दिल ने सीने में बहुत शोर मचा रखा है ! आखरस आपने मेहमान नवाजी ले तुफैल , मेरा मेयार जमाने में बढ़ा रखा है !! चिंतामणि निश्चिंत ने पढ़ा – गर्म लू के थपेड़ों का कहना ही क्या , आज डर इन बसंती बयारों से है !! भगवान दीन यादव ने पढ़ा – भौतिक जगत के पद पूंजी अधिकारों से एक दिन होना होता है वंचित ! अंत में संयोजक– कौशल सिंह सूर्यवंशी द्वारा प्रबंधक कुमार श्याम के साथ–साथ सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।