Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अम्बेडकर नगर कवियों ने बांधा समां , हंसी और ठहाके में सराबोर हुए श्रोता

कवियों ने बांधा समां , हंसी और ठहाके में सराबोर हुए श्रोता

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अंबेडकर नगर। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की मासिक काव्य गोष्ठी जिला मुख्यालय के एक सभागार में जिला संयोजक कौशल सिंह सूर्यवंशी और जिला अध्यक्ष तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के कुशल संचालन में आयोजित की गई । इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि देवेंद्र तिवारी देव एवम अध्यक्षता वरिष्ठ कवि चिंतामणि निश्चित ने किया । कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की चित्र पर माल्यार्पण और वाणी वंदना के साथ शुरू हुआ । इसके बाद कवियों ने अपने-अपने फन दिखाने शुरू किए , जिसमें उन्होंने अपनी एक से बढ़कर एक सुंदर रचनाओं को पेश किया । रायबरेली से चलकर आए कवि अजय उपाध्याय विभोर ने पढ़ा- नई दुनिया नया सदमा नया आकार देती है , मोहब्बत खुद नहीं मरती मोहब्बत मार देती है । भगवानदीन यादव मुनि ने पढ़ा- कर्म धर्म व्यक्त की निजी है संपत्ति, सुख दुख परिणाम देती लेती नहीं किसी से अनुमति। टांडा के युवा कवि प्रदीप माझी ने पढ़ा– शोहरत भी क्या मशहूर करती है , अपनों को अपनों से दूर करती हैं । कौशल सिंह सूर्यवंशी ने पढ़ा – हम रहते हैं गांव में तुम शहर में रहने वाली हो , हम कहते हैं प्यार मोहब्बत तुम आई लव यू कहने वाली हो । संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा – तुम्हारी कल्पना का संसार हमें झूठा लगता है , हक़ीक़त की दुनिया आंखें खोल कर देखो । युवा कवि संजय सवेरा ने पढ़ा – जब इंसान को पसंद इंसान नहीं , ऐसी दुनिया में रहना आसान नहीं है । वरिष्ठ गीतकार मुनीष मिश्रा ने पढ़ा– सत्य कह तो दूं मगर सुनेगा कौन , बिकना पड़ेगा हरिश्चंद्र बनेगा कौन । देवेंद्र तिवारी देव ने पढ़ा – राम हमारे गौरव हैं अभिमान है , राम हमारे जीवन की पहचान है । निश्चिंत जी ने पढ़ा – मेरे दोस्त चल रहा हूं मेरी दोस्ती निभाना , मिटना वतन के खातिर समझूंगा दोस्ताना । नवांकुर विनीत शूरवीर ने पढ़ा – कलयुग की मां बड़ा धमाल कर रही हैं , बनाकर शॉर्ट वीडियो कमाल कर रही है । कार्यक्रम के अंत में जिलाध्यक्ष तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने आए हुए अतिथियों व कवियों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की ।

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