अंबेडकर नगर। लोहिया की धरती एवं बहुजन समाज पार्टी की किले के रूप में पहचान बन चुकी अंबेडकर नगर संसदीय सीट पर चुनाव छठवें चरण में 25 मई को होना है। भले ही इस चुनाव पर प्रमुख राजनीतिक पार्टी भाजपा से रितेश पांडे ,बसपा से कमर हयात एवं सपा के लालजी वर्मा अपने कार्यकर्ता एवं समर्थकों के साथ मतदाताओं की गणेश परिक्रमा कर अपनी अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे हो। लेकिन चुनाव की करीब आ रही तारीख एवं मतदाताओ की खामोशी ने उनकी धड़कनों को बढ़ा दिया है। इस सीट पर सबसे ज्यादा चुप्पी मुस्लिम एवं वैश्य समाज व दलित समाज के मतदाता साधे हुए हैं। हालांकि इन समाज के नेता जिस जिस दल में हैं। वह सभी इन समाजों का वोट अपनी-अपनी पार्टी में मिलने का दावा कर रहे हैं। वैश्य समाज भारतीय जनता पार्टी का मतदाता माना जाता है। जबकि मुस्लिम मतदाताओ के बारे में चर्चा रहती है कि उनका वोट अक्सर ही भारतीय जनता पार्टी को हारने वाली पार्टी को जाता है। जिस कारण इस सीट पर भाजपा को हराने के लिए सपा और बसपा दोनों ही दंभ भर रहे हैं। फिलहाल इस बार इस सीट पर लड़ाई भारतीय जनता पार्टी एवं समाजवादी पार्टी के बीच में मानी जा रही है। इस सीट पर भाजपा जहां अपनी जीत को एक तरफा मान कर चल रही है।वहीं इस सीट की पांचो विधानसभाओं पर जीत का परचम फहराने के कारण समाजवादी पार्टी भाजपा से अपनी लड़ाई को प्रमुख बता रही हैं।जबकि बसपा ने अपने सिटिंग सांसद रितेश पांडे के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने पर मुस्लिम प्रत्याशी कमर हयात को उतार कर दलित एवं मुस्लिम मतो के सहारे अपने किले को बचाने की कवायद में है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने जिस रणनीति के तहत मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है। यादि उसमें उसे कामयाबी मिलती है। तो यहां पर लड़ाई त्रिकोणीय भी हो सकती है। हालांकि मुस्लिम मतदाताओं की खामोशी से सपा- बसपा के प्रत्याशी एवं कार्यकर्ता दोनों ही बेचैन है। नए परिसीमन के बाद अनारक्षित श्रेणी में आई लोक सभा की इस सीट पर हुए अब तक हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का ही पलड़ा भारी रहा है। 2009 बसपा के टिकट पर राकेश पांडे व 2019 बसपा के ही टिकट पर रितेश पांडे पिता पुत्र को मिला कर बसपा दो बार जीत का परचम फहरा चुकी है। जबकि 2014 के चुनाव में भाजपा के हरिओम पांडे को जीत मिली थी। वहीं सपा का इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खुल पाया है।
चुनावी विसात पर जातीय मोहरों की चाल को लेकर भी गुणा गणित तेज
लोकसभा की चुनावी विसात पर जाति समीकरण को लेकर भी गुणा गणित तेज हो गई है।जातीय समीकरण की बात करें तो साढ़े 18 लाख के करीब मतदाताओं वाले इस संसदीय सीट पर दलित मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। जो 3 से 4 लाख के बीच बताई जा रही है। दलित मतदाता बसपा के वोट बैंक माने जाते हैं। बसपा ने यहां पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर दो से ढाई लाख के करीब मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले मे कर जाति समीकरण का जाल बिछाया है। और अपना यह किला बचाने के प्रयास में जुटी हुई है। जबकि भाजपा क्षत्रिय ,ब्राह्मण, वैश्य मतो के साथ अन्य पिछड़ी जातियों एवं मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ पाए दलित व मुस्लिम मतदाताओं को भी अपने पक्ष में मतदान करने का दावा करते हुए इस सीट पर 2014 का इतिहास दोहराने ख्वाब संजोये है।तो बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे टाण्डा व कटेहरी से विधायक बने समाजवादी पार्टी के लोक सभा प्रत्याशी पूर्व मंत्री लाल जी वर्मा समाजवादी पार्टी के एम वाई समीकरण के साथ स्वजातीय कुर्मी मतो एवं पार्टी में मौजूद अपने चहेते कार्यकर्ताओ के सहारे सपा के लिए अब तक उबड़ खबाड़ रही संसदीय सीट पर साइकिल की रफ्तार तेज कर हर छोटी बड़ी जनसभा में जीत का दावा कर रहे हैं। जबकि 25 मई को मतदान होने के बाद विभिन्न पार्टियों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के द्वारा की जा रही मतदाताओं की गणेश परिक्रमा तो समाप्त हो जाएगी। किसका दावा सच होता है यह 4 जून को ईवीएम का पिटारा खुलने के बाद ही पता लग पाएगा।