◆ कहा कि सत्य को अधिक दिनों तक धुंधला करके कोई नहीं रख सकता
◆ श्रीराम लला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर प्रतिष्ठा द्वादशी कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री
अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम हैं तो राष्ट्र है, राष्ट्र है तो राम हैं। दोनों को अलग करके नहीं देखा जा सकता, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक इन्हीं आराध्य देवों के कारण आज भारत है। पीएम मोदी के नेतृत्व में नए भारत को आगे बढ़ाया जा रहा है। हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि उस अभियान का हिस्सा बनें।
उन्होंने कहा कि सत्य को अधिक दिनों तक धुंधला करके कोई नहीं रख सकता है। सत्य एक दिन उजागर होगा। देश-दुनिया सत्य के रूप में अयोध्या में रामजन्मभूमि पर प्रभु रामलला के भव्य मंदिर देख रही है। प्रभु राम के भव्य मंदिर का निर्माण दुनिया में दबी-कुचली सभ्यता व संस्कृति के लिए संदेश भी है कि लोकतांत्रिक, संविधान सम्मत तरीके से अधिकार लिए जा सकते हैं। अयोध्या में रामजन्मभूमि के लिए हुए अनगिनत बलिदान व उन सब मूल्यों के साथ अग्निपरीक्षा के दौर से बार-बार गुजरने के बाद भी धैर्य न खोना इस अभियान का हिस्सा रहा है। विश्वास है कि हम सब इस पथ के अनुगामी बनेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भगवान श्रीरामलला के श्रीविग्रह की प्राण- प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर आयोजित प्रतिष्ठा द्वादशी कार्यक्रम के उपरांत अपनी बातें रखीं। अंगद टीले में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने श्रीरामलला के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पांजलि की। सीएम ने अशोक सिंहल को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
धैर्य की अग्निपरीक्षा देता हुए हर भारतवासी गुजरा, लेकिन ध्येय एक ही रहा प्रभु विराजमान हों
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार श्रीरामजन्मभूमि पर प्रभु रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा प्रतिष्ठा-द्वादशी के रूप में त्रिदिवसीय आयोजन का शुभारंभ किया गया है। 22 दिसंबर 1949, रामलला का अपनी जन्मभूमि में प्रकटीकरण होना, इस पूरी लड़ाई की पृष्ठभूमि को आगे बढ़ाता हुआ आज इन स्थितियों में पहुंचा कि प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष के उपरांत आज मंगलगान के साथ अभिभूत होकर हम सभी गौरव की अनुभूति कर रहे हैं। इसके उपरांत भी अनेक तिथियां आईं, जिस पर न्यायसंगत तरीके से मर्यादा के अनुसार धैर्य की अग्निपरीक्षा देते हुए हर भारतवासी गुजरा, लेकिन ध्येय सबका रहा कि प्रभु श्रीरामलला विराजमान हों।
संतों के सानिध्य में पीएम ने रामलला को कराया था प्रतिष्ठित
सीएम ने कहा कि इसका शुभारंभ 9 नवंबर 2019 को हुआ, जब न्यायपालिका ने सर्वसम्मत से निर्णय सुनाया कि अयोध्या में जहां विवादित ढांचा था, वह रामजन्मभूमि है। वहां ट्रस्ट गठित करते हुए प्रभु के भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए। 5 अगस्त 2020 को इसी अयोध्या धाम में आकर पीएम मोदी ने प्रभु रामलला के भव्य राममंदिर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 22 जनवरी 2024 (पौष शुक्ल द्वादशी) के दिन पीएम मोदी ने देश भर से आए हर तबके के नेतृत्ववर्ग की उपस्थिति व संतों के सानिध्य में 500 वर्षों का इंतजार समाप्त करते हुए रामलला को उनकी जन्मभूमि में प्रतिष्ठित कराने का कार्य किया था।
दस वर्ष पहले किसी ने नहीं सोचा कि अयोध्या को उसका अधिकार प्राप्त होना चाहिए
सीएम ने कहा कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के उपरांत औसतन प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालुओं का आगमन अयोध्या धाम में हो रहा है। आज अयोध्या जिस रूप में है, वह किसी से छिपी नहीं है। दस वर्ष पहले किसी ने अयोध्या के बारे में नहीं सोचा था कि इसे इसका अधिकार प्राप्त होना चाहिए। 2014-2017 के पहले अयोध्या को बमुश्किल तीन-चार घंटे बिजली मिलती थी। राम की पैड़ी में सरयू जी का जल सड़ता रहता था। हजारों वर्ष पहले लंका पर विजय प्राप्त करने के उपरांत भगवान पुष्पक विमान से अयोध्या पधारे थे। हजारों वर्ष बाद भी अयोध्या में एयरपोर्ट नहीं था, लेकिन आज अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। अयोध्या की सड़कें (फोरलेन, सिक्सलेन) त्रेतायुग का स्मरण करा रही हैं। सरयू मैया के घाट अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। राम की पैड़ी में अब सरयू जी का जल सड़ता नहीं।
पूरे देश को जोड़ रही नए उप्र की नई अयोध्या

सीएम ने कहा कि अयोध्या अब अयोध्या होने का अहसास कराती है। सूर्यवंश की राजधानी अयोध्या देश की पहली सौलर सिटी बन चुकी है। यह नए भारत का नया उत्तर प्रदेश है तो नए उत्तर प्रदेश की नई अयोध्या अपने तीर्थ होने के गौरव के साथ पूरे देश को अपने साथ जोड़ रही है। यह एक दिन में नहीं हुआ, इसके लिए लंबे संघर्ष को बढ़ाना पड़ा। दर्जनों पीढ़ियां चली गईं, लेकिन एक ही कामना थी कि अयोध्या में प्रभु रामलला को विराजमान होता देख सकें। कई संत व भक्त अधूरी कामना लिए चले गए, लेकिन उनका संकल्प दृढ़ था। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि इन तिथियों को आंखों से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
