अयोध्या। श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास, दिल्ली द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीयकार्यकर्तासम्मेलन की शुरुआत शनिवार को अयोध्या स्थित कारसेवकपुरम में भव्य रूप से हुई। सम्मेलन में देशभर के लगभग सभी प्रांतों से आए 150 से अधिक क्षेत्रीय समितियों के कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम का उद्घाटन श्रीराम तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पतराय ने किया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान श्रीराम के वनगमन मार्ग से जुड़े तीर्थ स्थलों की पहचान, संरक्षण और विकास के क्षेत्र में डॉ. रामअवतार के योगदान को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि पिछले पांच दशकों में उन्होंने श्रीराम की लीला भूमि से जुड़े लगभग 300 स्थलों की पहचान की है। ये स्थल अब देश के धार्मिक पर्यटन मानचित्र में धीरे-धीरे प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं।
केवल श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के संस्थापक और प्रबंध न्यासी व भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के रामायणसर्किट के अध्यक्ष डॉ. रामअवतार ने बताया कि यह सम्मेलन अयोध्या में निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीयश्रीरामसंग्रहालय की योजना, विषय-वस्तु और संरचना को लेकर गहन विचार-विमर्श के लिए आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं।
डॉ. राम अवतार के अनुसार, दो दिवसीय सम्मेलन में प्रतिदिन तीन सत्र होंगे, जिसमें वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरितमानस और अन्य रामायणों के आधार पर विद्वान शोध पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। संग्रहालय की सामग्री इन्हीं शोध पत्रों के आधार पर तय की जाएगी।
आयोजित सत्रों में संग्रहालय भवन निर्माण और वास्तुशिल्प पर प्रख्यातआर्किटेक्टराकेशवत्स, रामायण कालीन अभियांत्रिकी पर वरिष्ठअभियंताश्रीनिवासकुटुंबले (इंदौर), पुष्पक विमान और प्राचीन भारत में विमान अवधारणा पर वायुसेनाकेसेवानिवृत्तअधिकारीविजयप्रसादउपाध्याय, रामायण कालीन चिकित्सा पद्धतियों पर योगाचार्यएवंनेचुरोपैथीविशेषज्ञराजेशकुमार, तथा रामायण कालीन हथियारों पर ब्रिगेडियरराजबहादुरशर्मा (दिल्ली) ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।