Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अम्बेडकर नगर चिर्रय दुपहरिया में बाहरे मत निकला, जियरा सासत में पड़ जाई

चिर्रय दुपहरिया में बाहरे मत निकला, जियरा सासत में पड़ जाई

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◆ बड़े बुजुर्गन कय इ बात इग्नोर करल,भारी पड़ रहल बाय लोगन के आज


✍ सुभाष गुप्ता


अंबेडकर नगर।लूह अउर इ भीषण गर्मी से बचय कय जवन तरीका विज्ञान भी लोगन के न अब तक न समझा पइलसय, ऊं तरीका चार दशक पहिले से ही हमहन के पूर्वजन के द्वारा दिखाइल गईल भूत और चुरइन के डर लूं और भीषण गर्मी से बचय कय तरीका बता दिहलेस रहल।भूत अउर चुर इन से  डरन लोग गर्मी शुरू होत ही दुपहरिया में अपने अपने घर में रोज तीन चार घंटा तक आइसोलेशन में रहत रहलय।चिर्रय दुपहरिया में घर से बाहरे मत जा बाबू। नहीं तो भूत अउर चुराईन पकड़ लेंइ।जियरा तोहर और परिवरवन दोनों कय सासत में पड़ जाइ। बचपन कय इ बात आज कय भीषण गर्मी और चल रहल लूं के देख के याद आ गइल।जब जेठ के दुपहरिया में  खेले बदै  घर से बाहर जायके मन करय तो माई बाप अउर बड़ा बुजुर्ग भूत, चुरइन कय डर देखाईके बाहरे खेल बदै जायेंसे रोक देत रहन।उ भूत, चुरइन कय डर बहुत लोगन के इ भीषण गर्मी अउर लू से बचवत रहय। लेकिन जब से डिग्री अउर सेल्सियस में गर्मी नापै कय पैमाना आइल और विज्ञान भूत ,चुराइन के अस्तित्व के नक्करलस तब से लोग दिन दुपाहरिया एक कइके खेले,घुमे,ठहरय शुरू कय दिहेन।अउर हीट स्ट्रोक कय शिकार होइके अपन जान गंवाउतय हउय संगे में  परिवार कय जिनगी भी सासत में डारत हएन।इतनय नाय कुछ लोग प्राकृत से छेड़छाड़ कइके दोष सरकार और गर्मी कय देय शुरू कय दीहिन।इ तो पहली बार है नाय कि गरमी अउर जेठ कय दुपहरिया पहली बार येतना तपत बाय।येसे पहले भी बहुतय बार अइसन भीषण गर्मी पड़ल हव।आज तो लाइट,सौर ऊर्जा से चलय वाला एसी,कूलर पंखा कय सुख सुविधा बाय। लेकिन आज के चार दशक पहिले गर्मी से बचयके नाम पर भूत अउर  चुरइन के डर ही रहै।जवन  डर से बच्चा,बुढ अउर जवान तीनों दिन कय तीन चार घंटा के घर मे रहिकय लूह और गर्मी से बचाव (आइसोलेशन), पेड़ ,पालव और बेना (हाथ से चलावाय वाला पंखा) के ही सहारे करत रहल। लेकिन जबसे तकनीक अउर विज्ञान कय विकास भइल और शास्त्र में लिखल बातन के लोग इग्नोर कइके आधुनिता के आड़ में  पेड़ और पालव कय अन्धाधुंध कटाई शुरू कय दीहिन है।ओसे जवने डार पर बैठल हयइन,उहे डार के कटे वाली कहावत चरितार्थ हो गइल बा।अउर लोगन के सबक सिखावय करतिन प्राकृति भी कभी कभी  रौद्र रूप धर लेला।और कई लोग बेसमय काल के गाल में समा जालान। उतो धन्य है कि बड़े बुजुर्ग के अभी भी पीपल,नीम में देवी देवता और बरगद में भूत प्रेत कय डेरा वाली बात लोगन के जेहन में आस्था और विश्वास कय रुप कइले बाय ।जउने नाते इ तीनो पेड़ गांव गिराव में अभी भी बचल बटय।शहर में आधुनिकता कय चकाचौंध,विज्ञान कय अधूरा ज्ञान आउर विकास के नाम पे एहु तीनों पेडवन के अस्तित्व पे खतरा मंडरात बाय।ऊहो जब विज्ञानों भी इस तीनों पेड़वन के सबसे ज्यादा जीवन के लिए उपयोगी मान चुकल बाय।अब सोचाय वाली बात इ बाय कि हमरे पूर्वज और ॠषि मुनि केतना बड़ा वैज्ञानिक रहल जवन बात इन पेड़वन के बारे में विज्ञान आज बतावत वाय वोके ऊ हजारों वर्ष पहले ही बता चुकल बांटे।उनकय तरीका थोड़ा व्यवहारिक रहल और विज्ञान का तरीका थोड़ा सैद्धांतिक बटय। लेकिन दोनों का ही उद्देश्य प्राकृति कय संरक्षण ही हव।साथे ही एक बात अउर बटे प्राकृति के संरक्षण करतिन पेड़ पौंधा लगावल से जरूरी ओकर संरक्षण बटय।

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