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सौतेली मां का मान रखने के लिए ध्रुव जी गए थे वन : आचार्य दिव्यांशु जी महाराज

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बसखारी अम्बेडकर नगर। कोतूपुर में चल रहे सप्त दिवसीय श्री भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक आचार्य दिव्यांशु जी महाराज ने ध्रुव की कथा  बताते हुए कहा यदि व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी कार्य के लिए दृढ़ संकल्प ले ले तो  निश्चित ही वह कार्य पूर्ण होता है  जैसे ध्रुव जी महाराज से उनकी सौतेली मा सुरुचि ने कहा  कि यदि राजा की गोद में बैठना चाहते हो तो जाकर के तप  करो और जब भगवान प्रसन्न हो जाएंगे तो वरदान मांगना की इस बार जब तुम्हारा  जन्म हो तो मेरे  गर्भ से हो तभी तुम अपने पिता की गोद में बैठने के अधिकारी बनोगे। ध्रुव जी महाराज ने सौतेली मां की बात को गांठ बांध लिया और अपनी मां सुमति की आज्ञा लेकर जंगल में तप करने के लिए चल दिए। तपस्या के बाद आज ध्रुव जी महाराज को भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ ध्रुव जी महाराज की इस कथा से हमें यह संदेश मिलता है की यदि मन में दृढ़ इच्छा शक्ति है तो व्यक्ति किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। ध्रुव जी आज सौतेली मां के कारण ही संसार में पूज्य और वंदनीय बन गये  और ध्रुव तारा के रूप में आज भी उत्तर दिशा में विराजमान है । कथा में प्रमुख रूप से रामदेव त्रिपाठी सूर्य भूषण  त्रिपाठी देवेन्द्र कुमार  त्रिपाठी चंद्र भूषण त्रिपाठी बृजेश त्रिपाठी जगदीश मिश्रा डॉ परशुराम बर्मा सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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