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भगवान श्रीहरि के योग निद्रा में जाने से चार मास वर्जित होते हैं मांगलिक कार्यक्रम

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◆ चातुर्मास में भगवान शिव करते हैं सृष्टि का संचालन


◆ वर्ष 2024 में 17 जुलाई से प्रारम्भ हो रहा है चातुर्मास


अयोध्या। देवशयनी एकादशी से जगत नियंता भगवान विष्णु इस दिन से चार मास के लिए क्षीर सागर में योग निंद्रा में चले जाते है। इन्हीं चार महीनों को चातुर्मास या चौमासा कहा जाता है। सृष्टि संचालन का सारा कार्यभार भगवान विष्णु द्वारा किया जाता है किन्तु देवशयनी एकादशी से देवउठानी एकादशी यह कार्यभार भगवान शिव तथा उनके परिवार पर आ जाता है। इसी कारण इस दौरान भगवान शिव की आराधना की जाती है।

चातुर्मास के दौरान नारायण योग निद्रा में रहते हैं, इसलिए इस समय विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन आदि मांगलिक कार्यक्रम वर्जित रहते हैं। इस दौरान घर का निर्माण प्रारम्भ, गृह प्रवेश, उग्रदेवता की प्रतिष्ठा, नई दुकान का उद्घाटन, वाहनों का क्रय विक्रय नहीं किया जा सकता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार, सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान विष्णु के हाथ में रहता है, लेकिन उनके शयनकाल में जाने के कारण सारा कार्यभार भगवान शिव और उनके परिवार पर आ जाता है। इसलिए चातुर्मास में भगवान शिव और उनके परिवार से जुड़े व्रत-त्योहार आदि मनाए जाते हैं। श्रावण माह पूरा भगवान शिव को समर्पित रहता है। श्रद्धालु एक माह उपवास रखते हैं, बाल-दाढ़ी नहीं कटवाते हैं। मंदिरों में विशेष अभिषेक, पूजन किए जाते हैं। भाद्रप्रद माह में दस दिनों तक श्रीगणेश की आराधना की जाती है। आश्विन माह में देवी दुर्गा की आराधना शारदीय नवरात्र के जरिए की जाती है।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरु होकर चातुर्मास कार्तिक शुक्ल की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पूर्ण होता है। पुराणों के अनुसार इस वक्त भगवान विष्णु क्षीर सागर की अनन्त शैय्या पर योगनिद्रा के लिए चल जाते हैं। इसलिए चातुर्मास के प्रारंभ की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं।

इस चौमासे के अंत में जो एकादशी आती है। उसे देव उठनी एकादशी कहते हैं क्योंकि यह समय भगवान के उठने का समय होता है। हमारे हिंदू संस्कृति में चातुर्मास का विशेष महत्व है। इसे चौमासा भी कहते थे। इस साल चातुर्मास 17 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है और यह 12 नवंबर तक रहेगा। भगवान विष्णु के जागने के बाद पुनः शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है।

चातुर्मास में खानपान में अत्यंत सावधानी बरतने के भी होते हैं। बारिश का समय होने के कारण हवा में नमी बढ़ जाती है। जिसके कारण बैक्टीरिया, कीडें, पनपते हैं। शरीर की पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है इसीलिए संतुलित और हल्का सुपाच्य भोजन करें।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से जगत कल्याण होता है। प्राकृतिक आपदाएं टल जाती हैं। व्रत रखने वाले मनुष्य को  भगवान विष्णु के बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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